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________________ स्थिति मे कोई उपयोग नहीं होता। एकाग्रता की स्थिति मे वे स्रोत उद्घाटित हो जाते हैं और वे शरीर मे विशेष प्रकार की रासायनिक क्रिया उत्पन्न करते है। उनके द्वारा असभव प्रतीत होने वाले परिवर्तन सहज ही घटित हो जाते है, किन्तु यह कुछ ही दिनो मे घटित नही होता। इसकी सिद्धि के चार उपाय है १. आस्था बन्ध २ दीर्घकालिक अभ्यास ३. निरन्तर अभ्यास ४. कर्मविलय साधना मे दृढ आस्था हुए विना सफलता सभव नही होती। उसके होने पर भी यदि अभ्यास दीर्घकाल तक न चले तो सफलता सभव नही है। दीर्घकालिक अभ्यास होने पर भी यदि वह निरन्तर न चले, उस स्थिति मे साधक सफल नहीं हो सकता। इन सबके होने पर भी वन्धन-विलय से प्राप्त योग्यता अपेक्षित रहती है। इन सबका समुचित योग होने पर जो असभव प्रतीत होता है, वह सभव वन जाता है। उक्त उपलब्धियो से भी अधिक महत्त्वपूर्ण होती है अतीन्द्रिय ज्ञान की उपलब्धि । स्थूल मन की एकाग्रता होने पर वह भी घटित हो जाती मनोनुशासनम् । १३१
SR No.010300
Book TitleManonushasanam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1998
Total Pages237
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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