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(७६) जिस-पास यंत्रण पुर टिग्या॥१॥ तः समरंत लहंति-जत्ति वर पुच कलश, घएण सुवरण हिरएणपुरण जण चुंज रार; पिरक मुरक असंख-सुरक तुह पास पसा इण, अतिहुश वर कप्प रुरक सुस्कर कुल मह जिण ॥शा जर ज कार परिजुएण-करण नट सु कूविण, चक्खु कुखीण खएणखुण्ण नर सल्लिय सूलिग, तुह जिरा सरपरसाय-रोग लहु हुति पुगणगव, जय धनंतर पालमह ‘वि तुह रोगहरो नव ॥ ३ ॥ विज्ञा