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( ३०) नणय जिणं सुरासुरा, पमुश् श्रा सन्नवणाई तो गया ॥ २ ॥ खितयं ॥ तं महामुखि महंपि पंजली, राग दोस जय मोह वझियं ॥ देव दागव नरिंद वंदिध संति मुत्तम महातवं नमे ॥ २५ ॥ खि नयं ।। अंबरंतर विधारणि आदि, ललिय इस बहु गामिणियाहिं ॥ पीए सोलि पण सालिणिमादि, स कल कमलदललोयणि आहि ॥ २६ ॥ दीवयं ॥ पीण निरंतर थानर विणमिय गायलयाहिं ॥ मणि कंच ग पसिदिल मेहल सोदिय सोगि