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अंजलि रिसिग संयुग्रं श्रिमिश्रं agata घरावर नरवइ थुप म विश्राचियं बहुसो ॥ ग्रश्रुग्गय सरय दिवायर समहिा सप्पनं तवसा ॥ गयांगण वियरण समुश्य चारण वंदियं सिरसा || १५ ॥ किसलयमाला || असुर गरुल परिवंदियं, ॥ देवकोमि
किन्नरोरगणमंसि
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सय संयं समणसंघ परिवंदि ॥ २० ॥ सुमुहं ॥ श्रजयं थाई अयं रूपं यजियं श्रजिथं पयन पण मे ॥ २१ ॥ विविलसियं ॥ यागया वरविमाण, दिन काग रद्द