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श्र प्रजिअं, एस थुलामि जिले जिथं ॥ १६ ॥ जुग परिरंगिां ।। सोम गुणेंहिं पावइ न तं, नव सरय ससी ॥ ते गुणेहिं पावइ न तं, नव सरय रवि ॥ रुवगुणेहिं पावइ न तं, तिसगावइ ॥ सारगुणेहिं पावइ न तं, धरणिधरवइ ॥ १७ ॥ खिप्रिय ॥ चिवर पदत्तयं तम रय रहियं धीर जल शुत्र चित्रं चूत्र कलि कसं ॥ संति सुह प्पत्रतयं तिगरण पयन संति महं महामुलिं सरल मुवलमे ॥ १८ ॥ ललिश्रयं || विमानाय सिरि र5