________________
(१७) वावारी | ववगय विग्यासिग्छ, पत्ता हिय इडियं गणं ॥ ११ ॥ पञ्जलि
आनल नयणं, र वियारिय मुई महाकायं ॥ नहकुलिसघाय विध लिअ, गइंद कुंनबलानोयं ॥१२॥ पणयससंन्नमपचिव, नहमतिमा णिक पमित्र पमिमस्त ।। तुह वय गपहरणधरा, सीहं कुपि न गणंति ॥ १३ ॥ ससिधवल दंत मुसतं, दीदकरुल्लाल वहि नबाई ॥ महु पिंग नयगजुअलं, ससलिल नवज सदरारावं ॥ १४ ॥ नीमं महाग:, अच्चासन्नपि ते न विगांति