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(ज) सीयह, किं अनिय तं चेव-देव मां मा अवहीरह. ॥ २६ ॥ तुह पत्थ । न हु होड-विहल जिण जागन किं पुण, हन उरिकय निरुसत्तचच उक्कहु नस्सुयमण; ते मनन निमिलेग-एल एनवि ज लन्न सचं जं तुरिकय व-सेण किं नंवरु पञ्च. ॥ ७॥ तिहुअण सामिय पास-नाद मा अप्पु पयासिन, कि जान जं निय रुव-सरिसु न मुरान वहु जंपिन, थन्न न जिण जग्गि तह समो वि दखिन्तु दयासन, जश अवगनसि तुह जि-अहह कह हो मुहयासन. ॥ ॥ जातहरु