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________________ जय ऋषभदेव प्रापिगण नमन, जय प्रजित शीतयन प्ररि तुरंत। जय गंभव भवभर फात घर, जय प्रभिमान प्रानन्दपूर ।। जय सुमति सुमतिदायक दयान,जय पर पतितन रसाल । नय जय सुपाम भषणसनाम, जय चंद घद-मनतिप्रकाश ।। जय पुरपदत दुतिक्त-सेत, जय शोतान शीतलगुण निपेत । जय घेपनाय नृतमहम-मजा, जय यासयपूजित बासुपूज्ज । जय विमल विमानपद देनहान, जय लय अनत गुनगन-अपार । जय धर्म धर्म शिवाम देत गए शाति शांति पुष्टो फरेत । जय अन्य कुन्यवाटिका मेय, जय परांजन पसुपरि क्षयफरेय। जय मल्लि मलहन मोह मल्ल, जमुनिसुनत यतथल्ल-पल्ला जय नमि नित सपनुन मपैम, जय नेमनाथ यूपचक्र नेम । जय पारसनार प्रनाथनाथ, जय पद्धं मान शिवनगर माथ । पत्ता--चौबीस जिनन्दा, प्रानंदफदा, पापनियांदा तुमफारी। तिनपटनगचदा, उदय प्रमंदा, पासव यदा, हितधारी।। ॐ ही सपमादिचतुमिनिमिनेन्यो महायं निवंगामोति स्याल । सोरठा-भक्ति मुक्ति दातार, चौबीसों जिनराज पर । तिनपद मनवचधार, जो पूर्ज मोशिय लहै ।। (इन्यागीदि । पुष्पाजनि क्षिपेत् । सिद्ध पूजा (कवि धानतगय विरचित ) परम ब्रह्म परमात्मा, परम ज्योति परमीश । परम निरजन परम शिव, नमो सिद्ध जगदीश ॥१॥
SR No.010298
Book TitleJain Stotra Puja Path Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVeer Pustak Bhandar Jaipur
PublisherVeer Pustak Bhandar Jaipur
Publication Year
Total Pages443
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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