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________________ ANA nvarn. PAN [ ११५ होय सुरेन्द्र नरेन्द्र प्रादि पदवी लहे। सुख सम्पति सन्तान अटल लक्ष्मी रहे ।। फेर सर्व विध पाय भक्ति प्रभु अनुसरै। नाना विध सुख भोग बहुरि शिवतियवर । इत्याशीर्वाद । श्री आदिनाथ जिन पूजा नाभिराय मरुदेविके नन्दन, आदिनाथ स्वामी महाराज । सर्वार्थसिद्धिते श्राप पधारे, मध्यम लोक माहि जिनराज ॥ इन्द्रदेव सब मिलकर आये, जन्म-महोत्सव करने काज । प्राह्वानन सब विधि मिल करके, अपने फर पूजे प्रभु पाय ।। ॐ ह्री श्रीयादिनाथ जिनेन्द्र । अत्र अवतर अवतर, सवोपट् । ॐ ह्री श्रीयादिनाथ जिनेन्द्र । अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठ ठ । ॐ ह्री श्रीआदिनाथ जिनेन्द्र । अत्र मम सन्निहितो, भव भव वपद । क्षीरोदधि को उज्ज्वल जल ले, श्रोजिनवर पद पूजन जाय । जन्म-जरा दुख मेटन कारन, ल्याय चढाऊँ प्रभु के पांय ॥ श्रीमादिनाथके चरणकमल पर, बलि-२ जाऊँ मनवच-काय । हो करुणानिधि भवदुख मेटो, याते मै पूजों प्रभु पाय ।। ॐ ह्री श्रीआदिनाथ जिनेन्द्राय जन्मजरामृत्युविनाशनाय जलं । मलयागिरि चन्दन दाह निकन्दन, कचनझारी मे भर ल्याय । श्रोजिनके चरण चढ़ावो भविजन,भवाताप तुरत मिट जाय ।। श्री आदि० ॥ चन्दनं ।।
SR No.010298
Book TitleJain Stotra Puja Path Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVeer Pustak Bhandar Jaipur
PublisherVeer Pustak Bhandar Jaipur
Publication Year
Total Pages443
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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