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________________ कसायपाहुड २७ गाथाओमे कितनी सूत्रगाथाएं है और कितनी असूत्रगाथाएँ है। ग्यारहवी' और वारहवी गाथामें जिस जिम सूत्रगाथाकी जितनी भाष्यगाथाएँ है उनका निर्देश है । और तेरहवीर तथा चौदहवी गाथामे कसायपाहुडके पन्द्रह अधिकारोका नाम निर्देश है। इस प्रकार प्रारम्भमें ही ग्रन्थके अन्तर्गत अधिकारो और उनमे गायाओके विभागका सूचन कर दिया गया है । अधिकारोके अनुसार सूत्रगाथाओ और भाष्यगाथाओकी तालिका इराप्रकार है चारित्रमोहक्षपणाकी भाष्य गाथाएँ अधिकार नाम गाथा स० चारित्रमोह- गाथा स० भाष्य गाया - - क्षपणा - - - - - GK . १ प्ररथापक २ सक्रामक ३ अपर्वतना ४ कृष्टिकरण ११ १-५प्रारम्भके ५ अवि० ६ वेदक , ७ उपयोग, ८ चतु स्थान ९ व्यजन १० दर्शनमोहो पशमना ११ दर्शनमोहक्षपणा' ५ १२ सयमासयम लब्धि और । १ १३ चारित्र लब्धि १४ चरितमोहो- | ८ पशमना १५ चारिजमोह क्षपणा (१)५,(२)११,(३) | ४ गा०(४)२% २३ (१)३,(२)१,(३) | ४ = ८ । (१)३,(२)२,(३)१२, (४)३,(५)४,(६)२ (७)४,(८)४,(९)२ (१०) ५, = ४१ (१)१,(२)१,(३)१० (४) २= १४ ५ कृष्टिक्षपणा ४ क्षीणमोह ८६ भाष्यगाथा ७ सग्रहणी २८ सूत्रगाथा - - पत्र य तिणि य दो ताक चउक्य तिणि निषिण एक्का य। चत्तारि य तिणि उभे पच य एक तह य क ॥१२॥ वहीं, पृ० १७१ तिणि य नउरो तह दुग चत्तारि य होनि तह चउक्फ च । दो पचेव य एका अण्णा एक्का य दम दो य॥१०॥' क. पा० पृ० १७१ ।। २. 'पेज्जहामरिहत्ती निदि अणुभागे च बधग चेय । वेदग उवजोगे वि य चउठाण त्रियजणे चेय ॥१३॥ सम्मत्तदेसविरयी सजम उवमामणा च यवणा च। दसणचरित्तमोहे अपरि. माणणि मो॥१४॥ क. पा०, भा० १, पृ० १७८ ।
SR No.010294
Book TitleJain Sahitya ka Itihas 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKailashchandra Shastri
PublisherGaneshprasad Varni Digambar Jain Sansthan
Publication Year
Total Pages509
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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