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________________ ३४० . जैनगाहित्य गा निहाग गिन्तु उगम गो वानिया टिगोचर Mmmi नो गुणस्थान तक अपिरतिको पानतामा प्रशासनामिनांग नातागं सोगको दुसरगग महा ब०० गाल ८४-८५ मे गत nि unfrint foनागा और ८६ गं भर्यापागी भाको १० म० में में नीना गाया। भाग प्रयगा Titी ८७ सेगर १०७ तरु राब गानाग। ८७ गागा घर १० म० ४. ४और १०७ अन्तिम गाया गान० ५१० गत आठ गागा ग प्रकरणम यतिरित है जिन गायनको गया है। गागा ९४ मे अन्तर है। २०१० में 'मागास पगरम १7 मोहम्ग गत ठाणाणि' पाठ है और प० ग० में 'मागाग परमस एण गोहम्ग गाठाणाणि, पाठ है । बन्धपातमा अनुगार आगमगा उशष्ट प्रदेशबन्ध मिलाइष्टि और नोये गुणरयानरो लेगार गात, गुणम्मान पर्यन्त पांच गुणगानगर जी मारत है। तथा मोहनीय पार्मगा उत्कृष्ट प्रदेशवना गागादन गम्गरष्टि भोर राम्गगगिच्यादृष्टि गुणस्थान याले जीनोको छोटार दोष गाल गुणस्थान गाले जीय करते हैं ।न्तुि पश्चगाह के अनुगार आयुकगंगा उत्कृष्ट प्रदेशबन्ध दूगर गुण स्यानमें होता है । अत व्ह गुणस्थानवाले जीव मायुना उत्कष्ट प्रदेनवन्ध गरी है । और मोहनीय कर्मका उत्कृष्ट प्रदेशवन्ध पहलेगे लेकर नो गुणस्थान पर्यन्त होता है।। बन्धशतक' चूणिमें 'मन्ने पठति' गहार पनराग्रहवाले पाठमा निर्देश पिया है और उसे ठीक नही बतलाया । यह चतुर्थ प्रकरणको स्थितिका चित्रण है । परसग्रहमें इसका शतक नाम नही पाया जाता। किन्तु दोनो स० पश्च रांगहोके अन्तमें 'शतकसमाप्तम्' आता है। सप्ततिका और पचसग्रह पंचसग्रहके पांचवे अधिकारका नाम सत्तरि या सप्तति है । इस अधिकारके आदिकी गाथामें पचसंग्रहकारने स्त्रय उसका निर्देश किया है । तथा अमितगतिने भी अपने संस्कृत पंच संग्रहमें पांचवें अधिकारका नाम सप्तति दिया है। अत. इस अधिकारका उक्त नाम निर्वाध है। १. 'अन्ने पठति-'आउयकोससरा पदेसरस छति' । मासणोवि उपकोस पतित्ति, त ण, मोहस्स सत्त ठाण्णाणि । अन्ने पति-मोहस्म णव उ ठाणाणित्ति सासणसम्ममिच्छेहि सर । त ण सम्भवति -. श चू.। २. 'णमिऊणणदाण वरकेललनिसुक्खपत्ताण । वोच्छा सत्तरिभग उवट्ठ वीरनाहेण ॥१॥ ३. नत्याहमहतो भक्त्या पातिफल्मपवातिनः । स्वशक्त्या सप्ततिवक्ष्ये वधभेदावबुद्धये ॥३७६।। स०५० सं०।
SR No.010294
Book TitleJain Sahitya ka Itihas 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKailashchandra Shastri
PublisherGaneshprasad Varni Digambar Jain Sansthan
Publication Year
Total Pages509
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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