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________________ १९४ जेनसाहित्यका इतिहाग ___गारांग यह है कि गर्दा गपाणिगगा भूतमानगो गापाग सा है और उसमे पासुको गपागपाल गामा है। इगतरह 'गमायणातुट' गोयिंगग पर्यग नि गाय उपक्रम गमाप्त होता है। गह हग लिग आगे निपभोर नगारा वरसुगा ना करनेगी भागगि Ter पी। उगी पतिदन गागपात गायागयोंमें भी पाते है उपक्रमात पानात निग गागागा गार होता है उगमें गहा है गिगनयगी अपेक्षा गिग-निगम नपान गज्ज (प्रेगन्स) होता है। अयवा "किरा नगनी अपेक्षा ग पायमलोप होता है? गौर नग गिग द्रव्यमे दुष्ट होता है अशा गोन नगशिरा द्रगो पेज होता है?" इम गागा नारा उठागे गगे प्रनोज गगापाग आनार्य गतिवृषभ अपने नूणिमूगो दाग मारते है 'ग गाथाने पूर्वागी यिभाषा (शिरण) गरना चाहिये। वह इमप्रकार है नंगमनग और गगहनगणी अपेक्षा मोघ नेप है, मान देष है, माया प्रेय है और लोभ प्रेग है।' आशय यह है कि इस ग्रन्गो दो नाम है-कपायपाहुट या पेज्जदोमपाहुड । यहाँ कपायके लिये उगके स्थान दो शब्दोका प्रयोग किया है पेज्ज (प्रेय) और दोस (देप)। अत यह बतलाना आवश्यक है कि कपायके भेदोमेंगे कौन प्रेय है और कोन हेपरूप है ? तभी तो गापायके लिए 'पेज्जदोरा' नाम घटित हो सकता है ? ___ क्रोध द्वेष है क्योंकि माल अनर्थको जर है । मान भी इसीसे द्वेषरूप है, किन्तु माया पेज्ज है क्योकि उगकी सफलतासे मनुष्यको सन्तोप होता है । यही वात लोभके विपयमें भी जानना चाहिये । गाशय यह है कि जो कपाय उसके कर्ताके लिये सतापका कारण हो वह द्वप है और जो मानन्दका कारण हो वह पेज्ज है। 'व्यवहारनयकी अपेक्षा क्रोध द्वेप है, मान द्वेप है, माया द्वैप है और लोभ पेज्ज है।' ____ मायाचार लोकनिन्द्य और अविश्वासका कारण होनेसे द्वेप है किन्तु लोभसे द्रव्य वचाकर मनुष्य सुखपूर्वक जीवन विताता है इसलिये लोभ पेज्ज है। २ 'पेज्ज वा दोसो वा कम्मि कसायम्मि कस्य व णयस्स। दुठो व कम्भि दव्वे पियायए को कहिं वा वि॥ २१ । का० पा० अ० १, पृ० ३६४ ।
SR No.010294
Book TitleJain Sahitya ka Itihas 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKailashchandra Shastri
PublisherGaneshprasad Varni Digambar Jain Sansthan
Publication Year
Total Pages509
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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