SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 183
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ • 114 · * **** · * . • pg - จ अनुर ३७ प मेर व नहर हम शेर वशी है। पहले म्यान और दे पानावरण और यह तुष्टस्वस्थान कि घटित अन्तमें यहाँ भी मिलना है। जैसा कि तत्कष्ट व गया है । उत्तरप्रकृतियोंमें भागाभागका कथन वर्तमान है । तीन आयु, वैक्रियिकषट्क और तीर्थङ्कर प्रकृतिका उत्कृष्‍ जीव इनका बन्ध करनेवाले जीवोके असख्यातवें भाग प्रम प्रदेशबन्ध करनेवाले जीव असख्यात बहुभागप्रमाण होते हैं, गया है । परिमाणप्ररूपणा -- मूलप्रकृतियोकी अपेक्षा कथन हो गया है । उत्तरप्रकृतियोकी अपेक्षा कथन करनेवाला भाग बतलाया है -- तीन आयु, और वैक्रियिकपट्कका उत्कृष्ट प्र देव प्रदेशबन्ध करनेवाले जीव असख्यात है । आहारकद्विकका उत् प्रदेशबन्ध करनेवाले जीव संख्यात है । इत्यादि रूपसे परिमाण बतलाया गया है । क्षेत्र प्ररूपणा - मूलप्रकृतियो में क्षेत्रप्ररूपणाका कथन तो प्रकृति विषयक कथन अवशिष्ट है । उसमें बतलाया है कि षट्क, आहारकद्विक और तीर्थङ्कर प्रकृतिका उत्कृष्ट भौ करनेवाले जीवोका क्षेत्र लोकके असख्यातवें भाग है अं उत्कृष्ट प्रदेशबन्ध करनेवाले जीवोका क्षेत्र लोकके सख्या इत्यादि कथन है । स्पर्शन प्ररूपणा -- मूलप्रकृतियोमे कथन करनेवाला भ है । उत्तरप्रकृतियोके उत्कृष्ट अनुकृष्ट जघन्य और अजघन्य वालोके स्पर्शनका कथन अवशिष्ट है । नानाजीवोंको अप्रेक्षाकाल -- मूलप्रतियोकी अपेक्षा उत्कृष हो गई जघन्यकालप्ररूपणा तथा उत्तरप्रकृति विषयककाल प्र नानाजोवोकी अपेक्षा अन्तर- इसमें ओघतथा मदेशसे मूल उत्कृष्ट आदि प्रदेशबन्धोका अन्तरकाल नानाजीवोकी अपेक्ष यथा----आठ कर्मोके उत्कृष्ट प्रदेशबन्धका जघन्य अन्तर एक प्रदेशबन्धका अन्तरकाल नही है । उत्तरप्रकृतियोकी अपेक्ष इत्यादि कथन है । भावप्ररूपणा - चूकि सब प्रकृतियोका बन्ध औदयिकभा यहाँ सव मूल और उत्तरप्रकृतियोका जघन्य और उत्कृष्ट जीवोके औदयिक भाव बतलाया है । अल्पबहुत्वप्ररूपणा --- अल्पबहुत्वके दो भेद है स्वस्था परस्थान अल्पवद्रत्व | मलप्रकतियोयें स्वस्थान मान
SR No.010294
Book TitleJain Sahitya ka Itihas 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKailashchandra Shastri
PublisherGaneshprasad Varni Digambar Jain Sansthan
Publication Year
Total Pages509
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy