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________________ जैनसाहित्य और इतिहास कुछ राष्ट्रकूट राजा हुए भी हैं ।' राष्ट्रकूट राजाओ के घरू नाम कुछ और ही हुआ करते थे, जैसे कन्न, कन्नर, अण्ण, ब्रद्दिग आदि । यह नन्न नाम भी ऐसा ही जान पड़ता है । ४३० पुन्नाटसंघका इन दो ग्रन्थोंके सिवाय अभीतक और कहीं भी कोई उल्लेख नहीं मिला है; यहाँतक कि जिस कर्नाटक प्रान्तका यह संघ था वहाँ के किसी शिलालेख आदिमें भी नहीं और यह एक आश्चर्य की बात है । ऐसा जान पड़ता है कि पुन्नाट ( कर्नाटक ) से बाहर जानेपर ही यह संघ पुन्नाटसंघ कहलाया होगा जिस तरह कि आजकल जब कोई एक स्थान को छोड़कर दूसरे स्थान में जा रहता है, तब वह अपने पूर्वस्थानवाला कहलाने लगता है । आचार्य जिनसेनने हरिवंशके सिवाय और किसी ग्रन्थकी रचनाकी या नहीं, इसका कोई पता नहीं । आचार्य जिनसेन ने अपने समीपवर्ती गिरिनारकी सिंहवाहिनी या अम्बादेवीका उल्लेख किया है और उसे विघ्नों का नाश करनेवाली शासनदेवी बतलाया है। अर्थात् उस समय भी गिरिनारपर अम्बादेवीका मन्दिर रहा होगा । दोस्तटिका नामक स्थानका कोई पता नहीं लग सका जहाँकी प्रजाने शान्तिनाथेक मन्दिरमें हरिवंशपुराणकी पूजा की थी । बहुत करके यह स्थान बढ़वा के पास ही कहीं होगा । उस समय मुनि प्रायः जैनमन्दिरों में ही रहते होंगे । आचार्य जिनसेन ने अपना यह ग्रन्थ पार्श्वनाथ के मन्दिर में रहते हुए ही निर्माण किया था । पूर्ववर्ती आचार्यों का उल्लेख जिनसेनने अपने पूर्व के नीचे लिखे ग्रन्थकर्त्ताओं और विद्वानोंका उल्लेख किया है समन्तभद्र - जीवसिद्धि और युक्त्यनुशासन के कर्त्ता । सिद्धसेन - सूक्तियों के कर्त्ता । इन सूक्तियोंसे सिद्धसेनकी द्वात्रिंशतिकाओंका अभिप्राय जान पड़ता है । १ मुलताई ( बेतूल सी०पी० ) में राष्ट्रकूटों की जो दो प्रशस्तियाँ मिली हैं उनमें दुर्गराज, गोविन्दराज, स्वामिकराज और नन्नराज नामके चार राष्ट्रकूट राजाओंके नाम दिये हैं। सौन्द्रत्ति राष्ट्रकूटों की दूसरी शाखाके भी एक राजाका नाम नन्न था । बुद्ध गयासे राष्ट्रकूटोंका एक लेख मिला है उसमें भी पहले राजाका नाम नन्न हैं । २ ग्रहीतचक्राऽप्रतिचक्रदेवता तथोर्जयन्तालयसिंहवाहिनी | शिवाय यस्मिन्निह सन्निधीयते क्व तत्र विघ्नाः प्रभवन्ति शासने ॥ ४४
SR No.010293
Book TitleJain Sahitya aur Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherHindi Granthratna Karyalaya
Publication Year1942
Total Pages650
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size62 MB
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