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________________ महाकवि स्वयंभु और त्रिभुवन स्वयंभु ३८१ उनके पुत्र त्रिभुवनने अधूरोंको पूरा नहीं किया है बल्कि उनमें इजाफा किया है। इसकी पुष्टिमें हम नीचे लिखी बातें कह सकते हैं १ यह बात कुछ जंचती नहीं कि कोई कवि एक साथ तीन तीन ग्रन्थोंका लिखना शुरू कर दे और तीनोंको ही अधूरा छोड़ जाय । अपना अन्तिम ग्रन्थ ही वह अधूरा छोड़ सकता है । २ पउमचरिउमें स्वयंभुदेव अपनेको धनंजयका आश्रित बतलाते हैं और रिहणेमिचरिउमें धवलइयाका । इससे स्पष्ट होता है कि इन दोनों ग्रन्थोंकी रचना एक साथ नहीं हुई है। धनंजयके आश्रयमें रहते समय पहला ग्रन्थ समाप्त किया गया और उसके बाद धवलइयाके आश्रयमें जो कि शायद धनंजयका पुत्र था रिहणमिचरिउ लिखना शुरू हुआ। पंचमीचरित शायद धनंजयके आश्रयमें ही लिखा गया हो। ३ दोनों ग्रन्थोंका शेष त्रिभुवन स्वयंभुने उस समय लिखा जब वे बन्दइयाके आश्रित थे और इस बातका उल्लेख भी रिहणोमिचरियकी ९९ वी सन्धिके अन्तमें कर दिया कि पउमचरिउको ( शेष भागको ) कर चुकनेके बाद अब मैं हरिवंशपुराणकी (शेष भागकी) रचनामें प्रवृत्त होता हूँ। यह उल्लेख स्वयं स्वयंभुदेवका किया हुआ नहीं हो सकता। ४ पउमचरिउका लगभग ६ अंश और हरिवंशका अंश स्वयंभुदेवका है और शेष और त्रिभुवनका । प्रश्न होता है कि पिता यदि दोनोंका अधूरा ही छोड़ता तो इतने थोड़े थोड़े ही अंश क्यों छोड़ता ? ५ त्रिभुवन स्वयंभु अपने ग्रन्थांशोंको 'सेस' 'सयंभुदेव-उव्वरिअ' और 'तिहुअणसयंभुसमाणिअ' विशेषण देते हैं। शेषका अर्थ स्पष्ट है। आचार्य हेमचन्द्रकी नाममालाके अनुसार 'उव्वरिअ'का अर्थ 'अधिकं अनीप्सितं' होता है । अर्थात् , स्वयंभुदेवको जो अंश अभीप्सित नहीं था, या जो अधिक था, वह अंश । इसी तरह 'समाणि' शब्दका अर्थ होता है, लाया गया । इन तीनों विशेषणोंसे यही ध्वनित होता है कि यह अधिक या अनीप्सित अंश ऊपरसे लाया गया है । ६ रिहणेमिचरिउको देखनेसे पता चलता है कि वास्तवमें समवसरणके उपरान्त नेमिनाथका निर्वाण होते ही यह ग्रन्थ समाप्त हो जाना चाहिए । इसके बाद कृष्णकी रानियोंके भवान्तर, गजकुमारनिर्वाण, दीपायन मुनि, द्वारावती-दाह, बलभद्रका शोक, नारायणका शोक, हलधरदीक्षा, जरत्कुमार-राज्यलाभ, पाण्डव-गृहवास,
SR No.010293
Book TitleJain Sahitya aur Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherHindi Granthratna Karyalaya
Publication Year1942
Total Pages650
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size62 MB
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