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________________ महाकवि पुष्पदन्त ३२३ और वप्पुकको मारा, पल्लव-नरेश अन्तिगको हराया, गुर्जरोंके आक्रमणसे मध्य भारतके कलचुरियोंकी रक्षा की और अन्य शत्रुओंपर विजय प्राप्त की। हिमालयसे लेकर लंका और पूर्वसे लेकर पश्चिम समुद्र तकके राजा उसकी आज्ञा मानते थे । उसका साम्राज्य गंगाकी सीमाको भी पार कर गया था। चोलदेशका राजा परान्तक बहुत महत्त्वाकांक्षी था। उसके कन्याकुमारी में मिले हुए शिलालेखमें लिखा है कि उसने कृष्ण तृतीयको हराकर वीर चोलकी पदवी धारण की । किस जगह हराया और कहाँ हराया, यह कुछ नहीं लिखा । बल्कि इसके विरुद्ध ऐसे अनेक प्रमाण मिले हैं जिनसे सिद्ध होता है कि ई० स० ९४४ ( श० ८६६ ) से लेकर कृष्णके राज्य-कालके अन्त तक चोलमण्डल कृष्णके ही अधिकारमें रहा । तब उक्त लेखमें इतनी ही सचाई हो सकती है कि सन् ९४४ के आसपास वीरचोलको राष्ट्रकूटोंके साथकी लड़ाई में थोड़ी-सी अल्पकालिक सफलता मिल गई होगी। __ दक्षिण अर्काट जिलेके सिद्धलिंगमादम स्थानके शिलालेखमें जो कृष्ण तृतीयके पाँचवें राज्य-वर्षका है उसके द्वारा कांची और तंजोरके जीतनेका उल्लेख है और उत्तरी अर्काटके शोलापुरम स्थामके ई० सं० ९४९-५० (श ० सं० ८७१ ) के शिलालेखमें लिखा है कि उस साल उसने राजादित्यको मारकर तोडयि-मंडल या चोलमण्डलमें प्रवेश किया । यह राजादित्य परान्तक या वीरचोलका पुत्र था और चोल-सेनाका सेनापति था। कृष्ण तृतीयके बहनोई और सेनापति भूतुगने इसे इसके हाथीके हौदेपर आक्रमण करके मारा था और इसके उपलक्षमें उसे वनवासी प्रदेश उपहार मिला था। ई० सन् ९१५ ( शक सं० ८१७ ) में राष्ट्रकूट इन्द्र (तृतीय ) ने परमारराजा उपेन्द्र (कृष्ण) को जीता था और तबसे कृष्ण तृतीय तक परमार राजे राष्ट्रकूटोंके मांडलिक थे । उस समय गुजरात भी परमारोंके अधीन था। __ परमारोंमें सीयक या श्रीहर्ष राजा बहुत पराक्रमी था। जान पड़ता है इसने कृष्ण तृतीयके आधिपत्यके विरुद्ध सिर उठाया होगा और इसी कारण कृष्णको उस १ त्रावणकोर आर्कि० सीरीज जि० ३, पृ० १४३, श्लोक ४८ । २ मद्रास एपिग्राफिकल कलेक्शन १९०९ नं. ३७५ । ३ ए० इं० जि० ५, पृ० १९५ । ४ ए० इ० जि० १९, पृ० ८३ । ५ आर्किलाजिकल सर्वे आफ साउथ इंडिया जि० ४, पृ० २०१ ।
SR No.010293
Book TitleJain Sahitya aur Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherHindi Granthratna Karyalaya
Publication Year1942
Total Pages650
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size62 MB
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