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________________ पद्मचरित और पउमचरिय राम-कथाकी विभिन्न धारायें राम-कथा भारतवर्षकी सबसे अधिक लोकप्रिय कथा है और इसपर विपुल साहित्य निर्माण किया गया है । हिन्दू, बौद्ध और जैन इन तीनों ही प्राचीन सम्प्रदायोंमें यह कथा अपने अपने ढंगसे लिखी गई है और तीनों ही सम्प्रदायवाले रामको अपना अपना महापुरुष मानते हैं। अभी तक अधिकांश विद्वानोंका मत यह है कि इस कथाको सबसे पहले वाल्मीकि मुनिने लिखा और संस्कृतका सबसे पहला महा काव्य (आदि काव्य) वाल्मीकिरामायण है । उसके बाद यह कथा महाभारत, ब्रह्मपुराण, पद्मपुराण, अग्निपुराण, वायुपुराण आदि सभी पुराणोंमें थोड़े थोड़े हेर फेरके साथ संक्षेपमें लिपिबद्ध की गई है । इसके सिवाय अध्यात्म रामायण, आनन्द रामायण, अद्भुत रामायण नामसे भी कई रामायण ग्रन्थ लिखे गये । बृहत्तर भारतके जावा, सुमात्रा आदि देशोंके साहित्यमें भी इसका अनेक रूपान्तरोंके साथ विस्तार हुआ । अद्भुत रामायणमें सीताकी उत्पत्तिकी कथा सबसे निराली है । उसमें लिखा है कि दण्डकारण्यमें गृत्समद नामके एक ऋषि थे। उनकी स्त्रीने प्रार्थना की कि मेरे गर्भसे साक्षात् लक्ष्मी उत्पन्न हो । इसपर उसके लिए वे प्रतिदिन एक घड़े में दूधको अभिमंत्रित करके रखने लगे कि इतने में एक दिन वहाँ रावण आया और उसने ऋषिपर विजय प्राप्त करने के लिए अपने वाणोंकी नोकें चुभा चुभाकर उनके शरीरका बूंद बूंद रक्त निकाला और उसी घड़ेमें भर दिया। फिर वह घड़ा उसने मन्दोदरीको जाकर दिया और चेता दिया कि यह रक्त विषसे भी तीव्र है। परन्तु मन्दोदरी यह सोचकर उस रक्तको पी गई कि पतिका मुझपर सच्चा प्रेम नहीं है और वह नित्य ही परस्त्रियोंमें रमण किया करता है, इस लिए अब मेरा मर जाना ही ठीक है । परन्तु उसके योगसे वह मरी तो नहीं, गर्भवती हो गई । पतिकी अनुपस्थितिमें गर्भ धारण हो जानेसे अब वह उसे छुपानेका प्रयत्न करने लगी और आखिर एक दिन विमानमें बैठकर कुरुक्षेत्र गई और उस गर्भको जमीनमें गाड़कर वापस चली आई । उसके बाद हल जोतते समय वह गर्भजात कन्या जनकजीको मिली और उन्होंने उसे पाल लिया। वही सीता है । विष्णुपुराण (४-५) में भी लिखा है कि जिस समय जनकवंशीय राजा
SR No.010293
Book TitleJain Sahitya aur Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherHindi Granthratna Karyalaya
Publication Year1942
Total Pages650
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size62 MB
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