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________________ २२८ जैनसाहित्य और इतिहास इसके आगे लूणार गाँव और एलजपुरी अर्थात् एलिचपुरका उल्लेखमात्र करके कारंजा नगरका बहुत विस्तृत वर्णन किया है, जो यहाँ सबका सब उद्धृत कर दिया जाता है एलजपुर कारंजानयर, धनवंतलोक वसि तिहां सभर । जिनमन्दिर ज्योती जागता, देव दिगंबरकरि राजता ॥ २१ ॥ तिहां गच्छनायक दीगंबरा, छत्र-सुखासन-चामरधरा । श्रावक ते सुद्धधरमी वसिइ, बहुधन अगणित तेहनि अछइ ॥ २२ ॥ बघेरवालवंश-सिणगार, नामि संघवी भोज उदार ।। समकितधारी जिनने नमइ, अवर धरमस्यूं मन नवि रमइ ॥ २३ ॥ तेहने कुले उत्तमआचार, रात्री भोजननो परिहार । नित्यई पूजामहोच्छव करइ, मोती-चोक जिनआगलि भरइ ।। २४ ॥ पंचामृत अभिषेक धणी, नयणे दीठी ते म्हि भणी। गुरु सामी पुस्तकभण्डार, तेहनी पूजा करि उदार ।। २५ ॥ संघ प्रतिष्ठा ने प्रासाद, बहुतीरथ ते करि आल्हाद । करनाटक कुंकण गुजराति, पूरब मालव ने मेवात ॥ २६ ॥ द्रव्यतणा मोटा व्यापार, सदावर्त पूजा विवहार ।। तप जप क्रिया महोच्छव घणा, करि जिनसासन सोहामणा ।। २७ ।। संवत सात सतरि सही, गढ़ गिरनारी जात्रा करी । लाख एक तिहां धन वावरी, नेमिनाथनी पूजा करी ॥ २८ ॥ हेममुद्रा संघवच्छल कीओ, लच्छितणो लाहो तिहां लीओ। परविं पाई सीआलिं दूध, ईपुरस उंनालि सुद्ध ।। २९ ।। अलाफूलिं वास्यां नीर, पंथीजननि पाई धीर । पंचामत पकवाने भरी, पोषिं पात्रज भगति करी ॥ ३० ॥ भोजसंघवीसुत सोहामणा, दाता विनयी ज्ञानी घणा । अर्जुन संघवी पदारथ (?) नाम, शीतल संघवी करि शुभ काम ॥ ३१ ॥ इसका सारांश यह है कि कारंजामें बड़े बड़े धनी लोग रहते हैं और १-लोणोर बुलढाना जिलेमें मेहकरके दक्षिणमें १२ मीलपर है । बरारमें यह गाँव सबसे प्राचीन है। इसका पुराना नाम विरजक्षेत्र है।
SR No.010293
Book TitleJain Sahitya aur Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherHindi Granthratna Karyalaya
Publication Year1942
Total Pages650
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size62 MB
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