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________________ जैन रत्नाकर (३) आकाशास्तिकाय द्रव्य से- एक द्रव्य। क्षेत्र से- लोक अलोक प्रमाण । काल से - अनादि और अनन्त । भाव से - अरूपी। गुण से - समस्त पदार्थों को अवकाश देना, स्थान देना। भाजन गुण। (४) काल - द्रव्य से - अनन्त द्रव्य । क्षेत्र से ~ अड़ाई द्वीप प्रमाण । काल से - अनादि और अनन्त । भाव से - अरूपी। गुण से - वर्तमान गुण। (५) पुद्गलास्तिकाय द्रव्य से - अनन्त द्रव्य । क्षेत्र से- लोक प्रमाण। काल से - अनादि और अनन्त । भाव से ~ रूपी। गुण से-गलन मिलन स्वभाव । (१) जीवास्तिकाय द्रव्य से - अनन्त द्रव्य। क्षेत्र से- लोक प्रमाण।
SR No.010292
Book TitleJain Ratnakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKeshrichand J Sethia
PublisherKeshrichand J Sethia
Publication Year
Total Pages137
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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