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________________ रामायण - रहे हमारी टेक उन्हे, तुम इस नीति पर लाओ। बाकी सेना हटा बाली, रावण का युद्ध करावो ॥ . बाली भग करे शक्ति रावण की निश्चय लावो । सभी सभासद् मेल परस्पर, यही नियत करवावो । दौड़ क्योकि सेना रावण की, नही काबू आवन की। - यही एक ढंग निराला, अपना सब कुछ बचे करो शत्रु का ही मुख काला ॥ गाना नं० १६ (तर्ज-मुसाफिर क्यों पड़ा सोता) . विग्रह मे शोमन फल कहो कब किसने पाया है। . ' खोलकर देखलो इतिहास, सबने सिर धुनाया है ।। भरत बाहुबली का जंग, ठना था भाई भाई मे। ' वही भगड़ा यहां पर है, कर्म चक्कर से आया है ।। फैसला जो हुआ था वहां, वही करना यहां चाहिये। बचावो देश जन धन को, समझ मे ऐसा आया है।३। नमेना एक जब तक ये नहीं झगड़ा खतम होगा। शुक्ल पीछे जो करना, करना वह पहले बताया है ।४। दोहा सभी के मन मे बस गये, रहस्य भरे यह भाव । सभा समय करने लगे, कभी उतार चढाव ।। प्रति पालक हैं सभी के, दोनो ये सिरताज । किसके हम सहायक वने, किससे होवे नाराज || झगड़ा आपस मे दोनो का, हम निष्कारण क्यो पक्ष करें। अन्त मे एक ने नमना है, फिर लाखो जन' क्यो फंस के मरे ।।
SR No.010290
Book TitleJain Ramayana Purvarddha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShuklchand Maharaj
PublisherBhimsen Shah
Publication Year
Total Pages449
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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