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________________ सीताहरण । २०७ AAAAAAAAPm---- पाँचवाँ सर्ग। सीता हरण । वज्रकरणका उद्धार। मार्गमें चलते हुए सीता थक गई । उनको विश्राम देनेके लिए यक्षपति कुबेरकी भाँति, रामचंद्र एक वडके नीचे बैठे। चारों तरफसे उस प्रदेशको देख कर रामने लक्ष्मणसे कहा:-"यह प्रदेश किसीके भयसे अभी ही उजड़ा हुआ जान पड़ता है। देखो उद्यानोंके-बागीचोंके-धोरे अभी तक सूखे नहीं हैं; गन्नोंके खेत ज्यों के त्यों भरे हुए हैं, और खले अन्नसे भरे पड़े हैं। ये चिन्ह बताते हैं कि, यह प्रदेश अभी ही उजड़ हुआ है।" उस समय कोई पुरुष उधर होकर जा रहा था, उससे रामचंद्रने पूछा:-" हे भद्र ! यह प्रदेश किस कारणसे उजड़ा है ?” उसने उत्तर दिया:- . ___ "इस देशका नाम अवंति देश है। इसमें अवंति नामा नगरी है। उसमें सिंहके समान दुःसह सिंहोदर राजा राज्य करता है। उसके आधीन इस देशमें दशांगपुर नामा नगर है। उस नगरमें वज्रकरण नामा सिंहोदरका एक सामंत राज्य करता है। एकवार वह वज्रकरण वनमें शिकार खेलनेको
SR No.010289
Book TitleJain Ramayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranthbhandar Mumbai
Publication Year
Total Pages504
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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