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________________ राम लक्ष्मणकी उत्पत्ति, विवाह और वनवास। १७९ __उसके मित्रोंने कहा कि, नारदने एक स्त्रीका चित्र दिखाया था; उसी स्त्रीकी कामना-इच्छा-भामंडलके दुःखका कारण है । तब राजाने नारदको राजगृहमें; एकान्तमें बुलाकर पूछा:-" तुमने चित्रमें जिस स्त्रीको बताया है, वह कौन है ? और किसकी लड़की है ?" नारदने उत्तर दिया:-"जिस कन्याका चित्र चित्रित करके मैंने बताया है, वह जनक राजाकी कन्या है । उसका नाम सीता है । जैसा उसका रूप है वैसा ही रूप चित्रित कर देना मेरी या किसी अन्यकी शक्तिके बाहिर है; क्योंकि वह मूर्तिमती कोई लोकोत्तर स्त्री है । सीताका जैसा रूप है, वैसा देवियोंमें, नाग कुमारियोंमें और गन्धर्व कन्याओंमें भी नहीं है तो फिर मनुष्योंकी तो बात ही क्या है ? उसके रूपके समान रूपकी विक्रिया करनेमें देवता, उसका अनुसरण करनेमें देवनट और वैसा रूप बनानेमें प्रजापति ब्रह्मा-भी असमर्थ हैं। उसकी आकृति और वचनमें जो माधुर्य है, उसके कंठमें और हाथ पैरोंमें जो रक्तता है, वह सर्वथा अनिर्वचनीय है । जैसे उसका रूप चित्रित करनेमें मैं असमर्थ है, वैसे ही उसका यथार्थ वर्णन करनेमें भी मैं असमर्थ हूँ। तो भी परमार्थतासे मैं कहता हूँ कि, वह स्त्री भामंडलके योग्य है। और यह:सोच कर
SR No.010289
Book TitleJain Ramayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranthbhandar Mumbai
Publication Year
Total Pages504
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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