SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 105
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ रावणका दिग्विजय। wwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwww www वसुके आठ पुत्र 'पृथुवसु, चित्रवसु, वासव, शक्र, विभावसु, विश्वावसु, सुर और महासुर' क्रमशः राज्यसिंहासनपर बैठे । मगर देवताओंने उन सबको कुपित होकर मार डाला । इसलिए वसुका नवमा लड़का 'सुवसु' वहाँसे भागकर नागपुर गया, और दसवाँ 'वृहद्ध्वज' मथुराको चला गया। नगरवासियोंने पर्वतको, दिल्लगी उड़ाकर, तिरस्कारकर, नगर बाहिर निकाल दिया। उसको वनमें 'महाकाल नामक राक्षसने आश्रय दिया। . महाकाल असुरकी उत्पत्ति। रावणने पूछा:-"महाकाल असुर कौन था ?" नारदने इस तरहसे उसकी कथा कहना प्रारंभ किया:___“चारण युगल नामका एक नगर है । वहाँ 'अयोधन' नामका एक राजा हो गया है । उसके 'दिति' नामकी स्त्री थी। इसकी कूखसे 'सुलसा ' नामक एक रूपवती. कन्या उत्पन्न हुई थी। अयोधन राजाने उसका स्वयंवर रच, . सब राजाओंको आमंत्रण दिया । राजा आये । उनमें 'सगर' नामक राजा सबसे विशेष पराक्रमी था। उसकी आज्ञासे मंदोदरी नामकी एक प्रतिहारी-छलिया-स्त्री बारबार अयोधन राजाके आवासमें-महलोंमें-जाया करती थी।" ___ एकवार दितिराणी कुमारी सुलसाके साथ अपने अन्त:पुरके बागीचेमें बैठी हुई थी। मंदोदरी भी उस समय वहाँ जा पहुँची । मगर माता पुत्रीकी बातें सुननेके लिए वह वृक्ष,लताओंकी आड़में छिपगई ।
SR No.010289
Book TitleJain Ramayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranthbhandar Mumbai
Publication Year
Total Pages504
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy