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________________ (६५२) कृत ४२००० संख्यानी . तथा एनुं नाष्य जुनी टीपमां श्लोक १२००० संख्यानुं जे. तथा लघुनाष्य 3000 श्लोकनुं , अने एनी चूर्णि १४३२५ श्लोकनी ने.सर्व संख्या ७६७एन्थइ. ३ व्यवहार दशाकल्पबेदमत्र. एनां दश अध्ययन जे. एनी मूल संख्या जुनी टीपमा ६०० नी बे. एनी टीका श्रीमनयगिरि सूरिकत श्लोक ३३६२५ नी . तया चूमि १०३६१ श्लोकनी बे.एनुं नाष्य जुनं। टीपमां६००० श्लोक, जरव्यु . . सरवाले संख्या ५०५७६ थर. ४ पंचकल्पलेद सूत्र. शोज अध्ययन जे. एनी मूल संख्या ११३३ नी. एनी चूमी १३० श्लो कनी जे. बीजी टीकामां एनी संख्या ३३०० नी पण लखी जे. तथा एन नाष्य ३१२५ श्लो कनुं . सर्व संख्या ६३७७ तथा एमां गाथासं ग्रह. २००. ५ दशाश्रुतस्कंधलेद सूत्र. जेनुं बाग्मुं अध्ययन क ल्पसूत्र ने. तेनी मूल संख्या १७३५ डे, तथा चूी २२४५ श्लोकनी ने, थने नियुक्ति संख्या १६७ श्लोक . सर्व संख्या थ. ६ जितकल्पछेदसूत्र. एनी मूल संख्या १०७ , एनी टीका १२००० श्लोक ले. तथा सेनकत चूर्सिस १००० श्लोक , अने नाष्य. ३१२४ श्लोक ले. सर्व संख्या १६२३२ श्लोक तथा
SR No.010285
Book TitleJain Prabodh Pustak 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1889
Total Pages827
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size62 MB
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