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________________ (६२५) माटे नत्सेधांगुल थकी प्रमाणांगुल एक हजार गुणुं महोटुंबे, तेनी साथै बार योजन लांबी अने नव योजन पहोली नगरीनो हिसाब गणीयें, तो नत्सेधांगुले पांच पांचशे धनुष्यना चोखूणा चोशाला २७६४७000000) एटले सत्तावीश अन चोशन कोडने एंशी लाख खांमुवा थाय. एवं नगर होय तो चक्रवर्तिनी सेन्या आदिक बीजी पण सर्व शक्निो समावेश था शके. एवीरीतें अयोध्या नगरीनुं मान श्रीतीर्थकरने वचने श्रीअनुयोगधार तथा जंबुझीपपन्न त्ति ए सूत्र साथें मलतुं थावे . तथा वलीको एक एम कहे जे के, नत्सेधांगुल थकी प्रमाणांगुल बशे पञ्चाश गणुं महोटुंडे, तेमना मते अयोध्या नगरीना चनखूणा चोशाला गपीयें तो पण १७२७००0000 एक अज बहोत्तेर कोड ने एंशी लाख खंमुवा थाय. ए मानें गणता पण ठीक मलतुं नथी. कारण के,चक्रवर्त्तिना उन्नु कोड तो एक ला पायकज होय. ते एकेका पायकनो परिवार स्त्री,पुत्रादिक गणीयें तो घणा जनोनो समूह थाय. ते सर्वने बेसवा उठवाने तथा सूवाने कीडा करवाने बाहेर नूमिकायें जवाने तेटती जगा पूरी पडे नही, माटे जाणीये बैये.जे एक प्रमाणांगुलना योजने एक हजार उत्सेधांगलथाय , अने एक प्रमाणांगुलना योजने एक हजार उत्सेधांगुलना योजन थाय जे. ए प्रमाणे सूत्रोक्त वात खोटी था शके नही. उत्सेधांगुल
SR No.010285
Book TitleJain Prabodh Pustak 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1889
Total Pages827
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size62 MB
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