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________________ ( ५६८ ) ४७ हुए संस्थान. ५० कृष्णवर्ण नाम५१ नीलवर्ण नाम. ५२ लोहितवर्ण नाम. ५३ दारिश्वर्ण नाम५४ श्वेतवर्ण नामकर्म. ५५ सुरनिगंध. ५६ डरनिगंध. ५७ तिक्तरस नामकर्म. ५८ कटुकरस नामकर्म. ५० कषायरस नामकर्म. ६० श्राम्लरस नामकर्म ६१ मधुररस नामकर्म. ६२ कर्कशस्पर्श नामकर्म. ६३ मृस्पर्श नामकर्म. ६४ गुरुस्पर्श नामकर्म. ६५ लघुस्पर्श नामकर्म. ८ शुन नामकर्म. ६६ शीतस्पर्श नामकर्म. ५० सौभाग्य नामकर्म. ७३ देवानुपूवी. ७४ शुनविहायोग ति. शुविहायोगति. ७५ 06 १६ पराघात नामकर्म. ७ तास नामकर्म. ७८ धातप नामकर्म. ७ नद्योत नामकर्म. GO ०० गुरुलघु नामकर्म. ८१ तीर्थकर नामकर्म. ८२ निर्माण नामकर्म. ८३ उपघात नामकर्म. त्रस नामकर्म. G५ बादर नामकर्म. ८६ पर्याप्त नामकर्म. ८७ प्रत्येक नामकर्म. ८० स्थिर नामकर्म. ६७ ऊष्णस्पर्श नामकर्म. ९१ सुस्वर नामकर्म. ६८ स्निग्धस्पर्श नामकर्म. ९२ श्रादेय नामकर्म. ए ३ यशः कीर्त्ति नामकर्म. ६० रुस्पर्श नामकर्म. नरकानुपूर्वी. ७१ तिर्यगानुपूर्वी. ७२ मनुष्यानुपूर्वी. ४ स्थावर नामकर्म. सूक्ष्यं नामकर्म. ६ अपर्याप्त नामकर्म.
SR No.010285
Book TitleJain Prabodh Pustak 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1889
Total Pages827
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size62 MB
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