SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 336
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( २६६ ) रेवत गिरि सितुंज ॥ गजपद धम्म चक्क कहुं ॥ सा०॥ वैभारगिरि उत्तंग ॥ १ ॥ रावते कुंजरावते ॥ सा० ॥ तिहुं प्रणगिरि ग्वालेर ॥ काशी अवंती जाणीयें ॥ सा० ॥ नागोर जेसलमेर ॥ २ ॥ सोरिपुर दबिणान रें ॥ सा० ॥ अवल ईरावण पास ॥ पीरोज पुरें नू ड नलो ॥ सा० ॥ फलो पूरे याश ॥ ३ ॥ वि कानेरने मेडते ॥ सा० ॥ सीरोही याबू श्रृंग ॥ राण ग पुरने सादडी ॥ सा० ॥ वरकाणे मनरंग ॥ ४ ॥ निन्नमालने कोटडे ॥ सा० ॥ बाहडमेर मोजार ! रायणपुर रजिया मणुं ॥ सा० ॥ शांतिनाथ दयो जूहार ॥ ५ ॥ साचोर जालोर राडरें ॥ सा० ॥ गो डीपुरवर पास ॥ पाटण अमदावाद वली ॥ सा० ॥ संखे सर दीजें नास ॥ ६ ॥ श्रमी ऊरे नवपल्लवे ॥ सा० ॥ नवखं लायें ठाम ॥ तारंगे बुरहानपुरें ॥ सा० ॥ वंदूं माणक शाम ॥ ७ ॥ खंजायतने तारापुरें ॥ सा० ॥ मातर ने गंधार ॥ लोमण चिंतामणि व रुं ॥ सा० ॥ सूरत मनोई जूहार ॥ ८ ॥ देवक पा ट देवगिरि ॥ सा० ॥ नवे नगर वंदी जोय ॥ दीवा दिक सवि बंदरे ॥ सा अंतरिक सिरिपुर होय ॥ ॥ ए ॥ वडनगरने मुंगरपुरें ॥ सा० ॥ इमर मालव दे श || कल्याणक जिहां जिन तयुं ॥ सा० ॥ मन सूधे प्रणमेश ॥ १० ॥ गाम नगर पुर पाटणे ॥ सा० ॥ जि न मूरति जिहां होय ॥ वाचकमूला कहे मुऊ ॥ सा० ॥ वंदता शिवसुख होय ॥ ११ ॥ कलश ॥ बन्नुए जिन ु
SR No.010285
Book TitleJain Prabodh Pustak 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1889
Total Pages827
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size62 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy