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________________ (१२) हा ॥ ५ ॥ नंदन नवला बंधव नंदीवईनना तमें, नंदन जोजाश्योना देयर बो सुकुमाल ॥ हसशे नो जाश्यो कही दीयर माहारा लाडका, हसशे रमशे ने वली चूंटी खणशे गाल, हसशे रमशे ने वली तुं सा देशे गाल ॥ हा ॥ ६ ॥ नंदन नवला चेडा रा जाना नाणेज बो, नंदन नवला पांचशे मामीना नाणेज बो, नंदन मामलीयाना नाणेजा सुकुमाल ॥ हसशे हाथे नबाली कहीने नाहाना नाणेजा, आंरख्यो अांजी ने वली टबकुं करशे गाल ॥ हा ॥ ७ ॥ नंदन मामा मामी लावशे टोपी आंगला, रत ने जडीयां कालर मोती कशबी कोर ॥ नीलां पीला ने वली रातां सरवे जातिनां, पहेरावशे मामी माहारा नं दकिशोर ॥ हा० ॥ ७ ॥ नंदन मामा मामी सूखड ली सदु लावशे, नंदन गजुवे नरशे लाडु मोतीचूर ॥ नंदन मुखडा जोड्ने नेशे मामी नामां, नंदन मामी कहेशे जीवो सुख नरपूर ॥ हा० ॥ ए ॥ नंद न नवला चेडा मामानी साते सती,मारी नत्रीजी ने बेन तमारी नंद ॥ ते पण गुंजे नरवा लाखणसाई सावशे, तुमने जो जो होशे अधिको परमानंद ॥ ॥ हा० ॥ १० ॥ रमवा काजें लावशे लाख टकानो घूघरो, वली शूडा मेनां पोपट ने गजराज ॥ सारस हंस कोयल तीतरने वली मोर जी, मामी लावशे रमवा नंद तमारे काज ॥हा॥११॥ बप्प न कुमरी अमरी जलकलशे नवराविया, नंदन तमने
SR No.010285
Book TitleJain Prabodh Pustak 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1889
Total Pages827
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size62 MB
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