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________________ ( एस ) जो कलट, रहेतो रागें साहिन ए ॥ केवलु ए नाल उप्पन्न, गोयम सेहेजें नमाहिन ए ॥ तिदुखण ए जय जयकार, केवल महिमा सुर करे ए ॥ गणहरु ए करय वखाण, नवियण जव जिम निस्तरु ए ॥ ॥ ३६ ॥ वस्तु छंद || पढम गएणहर पढम गणहर वरस पंचास, गिहिवासें संवसिय ॥ तीस वरिस संजम विसिय ॥ सिरिकेवल नाण पुरा बार वरिस तिदुण नमसिय ॥ रायगिरि नयरीहिं विश्र वाल वइ वरिसा ॥ सामी गोयम गुण निलो होसे शिवपुर ठाउँ ॥ ३७ ॥ जापा ॥ जिम सहकारें कोयल टहुके, जिम कुसुमवनें परिमल महके, जिम चंदन सुगंध निधि || जिम गंगाजल लहेरें लहके, जिम कराया चल तेजें फलके ॥ तिम गोयम सोनागनिधि ॥ ३८ ॥ जिम मानसरोवर निवसे हंसा, जिम सुरवर सिरि कणयवतंसा, जिम मदुयर राजीववनी ॥ जिम रय पायर रयणें विलसे, जिम अंबर तारागण विकसे, तिम गोयम गुण केलि बनी ॥ ३५ ॥ पूनिम निसि जिम ससिहर सोहे, सुरतरु महिमा जिम जग मोहे, पूरव दिसि जिम सहसकरो || पंचानन जिम गिरि वर राजे, नरवइ घर जिम मयगल गाजे, तिम जिन शासन मुनि पवरो ॥ ४० ॥ जिम सुरतरुवर सोहे शाखा, जिम उत्तम मुख मधुरी नाखा, जिम वनके तकी महमहे ए ॥ जिम भूमिपति जुयबल चमके, जिम जिनमंदिर घंटा रणके, तिम गोयमलब्धें गह
SR No.010285
Book TitleJain Prabodh Pustak 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1889
Total Pages827
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size62 MB
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