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________________ न पाठावली नाम अनुसार ही गुण भी मौजूद थे । वसतपुर नमक नगर मे जितशत्रु राजा राज्य करता था उमके प्रधान मत्री का नाम जिनदास था। वह भी यथा नाम तथागुण था । कितने ही लोग कहलाते तो जिनदास है मगर होते है धनदास या लक्ष्मीदास । किन्तु जिनदास वास्तव में जिनदास था । वह सत्य बोलता और सत्य का ही आचरण करता था। दयालु और सतोषी था । राजा और प्रजा के प्रेम की रक्षा करता हुआ न्याय करता । उसका वर्ताव ऐसा शुद्ध था। सुभद्रा में इस तरह के ऊंचे संस्कार थे। शीलका गुण उसके जीवन मे व्यापा हुआ था । मतो और सतियो की सेवा में उसे आनन्द आता था । कन्या वडी हुई तो योग्य घर तलाश कर दिया गया। माता पिता ने गहनो के बदले सस्कार दिये । सुभद्रा समुराल गई । उसके सुसराल मे बौद्धधर्म का । पलन होता था। सुभद्रा के पति की रुचि भी उसी ओर थी। मनुष्य किसी भी धर्म का पालन करे मगर उमका खोटा अभिमान करना और अपने कर्तव्य को भूल जाना बहुत बुरी बात है। सुभद्रा का स्नेह और विनय देखकर सभी उसका आदर करते थे । मुभद्रा और उमके पति बुद्धदास का प्रेम दिनोदिन वटता जाता था। पर सुभद्रा की मामको बौद्ध होने के कारण जैन साधुओ का आना-जाना अच्छा नहीं लगता था । सुभद्रा
SR No.010283
Book TitleJain Pathavali Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTrilokratna Sthanakwasi Jain Dharmik Pariksha Board Ahmednagar
PublisherTilokratna Sthanakwasi Jain Dharmik Pariksha Board Ahmednagar
Publication Year1964
Total Pages235
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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