SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 201
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ तृतीय भाग) ३) दी हुई वस्तु ही लूंगा। ४) जीवनपर्यन्त पूर्ण शीलवत पालूंगा। ५) किसी भी वस्तु पर मोह नही रक्खूगा और परिग्रह नहीं करूंगा। ६) देख-देखकर पैर रक्खूगा । ७) सोच-विचार कर बोलूंगा। ८) शुद्ध भिक्षा और वस्त्र ही लूंगा। ९) वस्तु के धरने-उठाने में विवेक रक्खूना १०) शुद्धता और आहिंसा का पालन हो, इस प्रकर ___ मल-मूत्र आदि अशुचि पदार्थों का त्याग करूंगा। ११) मन से अच्छे विचार करूंगा। १२) वचन पर अकुश रखकर, वाणी का दुरुपयोग न करके, आवश्यकता के अनुसार ही बोलूंगा । १३) निष्कामभाव से निर्दोष काम ही करूंगा । इन प्रतिज्ञाओ मे पाँच महावतो, पाँच समितियो और तीन गुप्तियो का सार आ जाता है । सभी ने यह प्रतिज्ञाएँ ली । तलवार की धार पर चलना सरल है मगर सदैव इन व्रतो का पालन करना कठिन है। __जम्बूस्वामी ने बराबर इन व्रतो का पालन किया और शास्त्र का खूब ज्ञान प्राप्त किया। सुधर्मास्वामी के निर्वाण के बाद यही सकल जैनसघ के नेता बने । उसके बाद उन्होने भगवान् महावीर के उपदेश का प्रचार किया। अनेको को तारा । इस
SR No.010283
Book TitleJain Pathavali Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTrilokratna Sthanakwasi Jain Dharmik Pariksha Board Ahmednagar
PublisherTilokratna Sthanakwasi Jain Dharmik Pariksha Board Ahmednagar
Publication Year1964
Total Pages235
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy