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________________ पद्मासन - सहज साध्य सुखासन, जघा के मध्य भागो का मिलान । भिन्नत्व परत्वापरत्व - प्रशसाकृत, क्षेत्रकृत, कालकृत अभिन्नत्व | परदृष्टि - अनेकान्त दृष्टि का लोप । परद्रव्य - आत्म- अतिरिक्त देहादि सर्व पदार्थ । परपरिवाद - दूसरों के गुण-दोषों पर अभिभाषण । परभाव - रागादि विकृत भाव । परमभाव - वस्तु का शुद्ध स्वभाव | परमब्रह्म - विशुद्ध आत्म-वोध | परमाणु - पदार्थ का सूक्ष्मतम अविभाज्य अंश । परमात्मा - आत्मा की परम अवस्था । परमार्थ -- परोपकार, शुद्ध तत्त्व-स्वभाव; परम उत्कर्षं । परमेष्ठी - परम पद पर अवस्थित अर्हत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय, साधु — पंच परमेष्ठी । ; - परम्परा - अतीत का वर्तमान से मिलाप सम्मान्य आचार्य , या शास्त्र द्वारा प्ररूपित बातो की लोक- मान्यता । परलोक - मृत्यु के बाद प्राप्त होनेवाला दूसरा भव । पर समय - अन्य मत, स्वसिद्धान्त के विपरीत, मिथ्यादृष्टि । [ ८० ]
SR No.010280
Book TitleJain Paribhashika Shabdakosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year
Total Pages149
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size3 MB
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