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________________ पन्चेन्द्रिय-स्पर्शन, रसना, धाण, चक्षु और कर्ण की सामूहिक ___ संरचना; पशु, मनुष्य विशेष । पंचोला-पाँच दिन का उपवास । पडिलेहन-प्रतिलेखन ; रजोहरण, मयूर-पिच्छिका या चरवला से जीव-हिंसा का निवारणं । पण्डित-आगमतत्त्व वेत्ता। पण्डित मरण-सलेखना , समाधिपूर्वक शुभ मरण । पण्डितापण्डित-श्रावक । पत्र-शब्द और अर्थ की गूढ़ता। पद-विभक्ति सहित शब्द समूह ; पद्य का चौथा भाग ; निमित्त, कारण प्रदेश , स्थान । पद-निक्षेप-पदनिश्चय । पदस्थध्यान-मन्त्रयुक्त मन की एकाग्रता । पदानुसारी-बुद्धि-बोध ; एक श्रुत पद से दूसरे अश्रुत पद का योध। पदार्थ-द्रव्य ; वस्तु-तत्त्व ; गुणो/पर्यायो का प्रतिपाद्य विषय ; अस्तित्व। पद्मलेश्या-तीन शुभ लेश्याओ में से द्वितीय ; मन, वचन, काया की पवित्र प्रवृत्ति। [ ]
SR No.010280
Book TitleJain Paribhashika Shabdakosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year
Total Pages149
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size3 MB
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