SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 75
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ दिग्वत - गुणवत का एक अंग ; परिग्रह - परिमाण व्रत की रक्षा के लिए व्यापार क्षेत्र । दीक्षा - भावसत्र ; अंतरंग सदावर्त; प्रव्रज्या ; वैराग्य की उत्तम भूमिकाओ में प्रवेश की अनुमति । दीक्षा गुरु- दीक्षा देने वाले आचार्य । दीक्षा दान - दीक्षा देने की क्रिया । दीन- धर्म, अर्थ और काम सेवन की क्षमता विहीन पुरुष । दुर्गति - नरक और तिर्यंच गति । दुर्नय - स्वय की बात पर अडे रहना ; विरोधी धर्म की अपेक्षा को अस्वीकार करने वाली केवल स्वमत पकडने वाली दृष्टि | दुपक्व आहार - भोगोपभोग परिमाणन्त्रत का एक अतिचार ; ठीक से न पका आहार । दुःषम - दुषमा - कालचक्र का एक विभाग ; काल - मीमाइक्कीस हजार वर्ष । दुःषम- सुषमा --- कालचक्र का एक विभाग । समय-सीमा - वयालीस हजार वर्षो से कम एक कोटाकोटि सागर । [ ६७ ]
SR No.010280
Book TitleJain Paribhashika Shabdakosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year
Total Pages149
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy