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________________ च चक्रमण - पर्यटन, परिभ्रमण | चक्रवर्ती - षट् खण्ड का अधिपति और बत्तीस हजार राजाओं का स्वामी, सम्राट | चक्षुरिन्द्रिय- आँख, वर्ण्य विषय का ग्राहक । क्षुदर्शनावरण-चक्षु में ग्राह्य सामान्य विषय-वस्तु के ज्ञान का अवरोधक | चतुरिन्द्रिय- स्पर्शन, रसना, घाण, चक्षु – चार इन्द्रियो के धारी जीव । चतुर्थभक्त - एक दिन का उपवास । चतुर्विंशति स्तव - चौबीस तीर्थ करो का गुणगान । चन्दौबा - मन्दिर या उपाश्रय आदि में छत पर बाधा जाने वाला चौकोर वस्त्र | चन्द्र संवत्सर - बारह पूर्णिमाओ का परिवर्तन काल । चयन - देवो का अपनी सम्पत्ति से वियोग | [YE ] ४
SR No.010280
Book TitleJain Paribhashika Shabdakosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year
Total Pages149
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size3 MB
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