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________________ अन्ययोग- व्यवच्छेद - विशेषण और विशेष्य की एकरूपता । अम्यापोह - स्वभाव की भिन्नता । अन्योन्याभाव — एक वस्तु में अन्य का अभाव जैसे- गाय में घोडे का अभाव | अन्वय-वस्तु की तादात्म्यमूलक व्यवस्था, कार्य-कारण सम्बन्ध | अन्वयी -- वस्तु का गुण । अन्वय दृष्टान्त - साध्य से व्याप्त साधन । अन्वयव्यतिरेक-एक हेतु में हेतु से सम्बन्धित सभी अग की विद्यमानता ; पक्ष-धर्मत्व, सपक्ष-सत्व, विपक्ष - व्यावृत्ति, अबाधित विषयत्व और असन्- प्रतिपक्षत्वइन पाँच रूपों की एक युक्तता । अपर विदेह - सुमेरु पर्वत के पश्चिम में स्थित विदेह - क्षेत्र का अर्धभाग | अपराध - पर द्रव्य का अपहरण, पापमूलक कार्य की अभिव्यक्ति । - अपरिग्रह - संग्रह - वृत्ति एवं ममत्व बुद्धि का त्याग । अपर्याप्त – वे जीव, जिनकी काया अपूर्ण हैं । - अपर्याप्ति- आहार, शरीर आदि की प्रवृत्ति में अपूर्णता । अपवर्ग-मुक्ति | [१०]
SR No.010280
Book TitleJain Paribhashika Shabdakosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year
Total Pages149
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size3 MB
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