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________________ मध्यना पावा के हस्तिपाल और निर्वाण भारती (निर्मल आत्मा ही पावा सरोवर) varम्बर ग्रन्थ 'कल्पसूत्र' तथा दिगम्बर ग्रन्थ 'णिमीहिया दण्डग' के अनुसार तीर्थकुर महावीर का निर्वाण मध्यमा पावा* में हुआ। उस समय मल्ल गणराज्य के प्रधान हस्तिपाल आदि ने परिनिर्वाणोत्सव के उपलक्ष में दीपमालिकोत्सव मनाया। प्राकृत भाषा में रचित 'कल्पसूत्र' और णिमीहिया दण्डग' के उद्धरणों के साथ हमने यहाँ इस प्रसंग का संकेत किया है। 'णिसीहिया दण्डग' का दिगम्बर त्यागियों द्वारा नित्यपाठ किया जाता है। कमलयुक्त पावा सरोवर धार्मिक तीर्थक्षेत्र है परन्तु निश्चय से प्रत्येक व्यक्ति का निर्मल आत्मा ही पावा सरोबर होना चाहिए, तभी हमारा तीर्थङ्कर महावीर के २५०० वें परिनिर्वाण महा महोत्सव का आयोजन सफल समझा जावेगा । 'तेनं कालेनं तेणं समएणं 'बाबतर बासाई सब्वाउयं पालइत्ता, बीजे वर्षाणिज्जाउय नामगोते, इमीले ओसप्पिणीए दूसमसुसमाए समाए बहवी इक्कंताए, तिहि बासह अडनवमेहि य मातेहिं सेतएहि पावाए मज्झिमाए हस्थिपालगस्स रज्जो रज्जु-कल्पसूत्र मू. १४७ वगसमाए २४ ( उस काल में और उस समय में ७२ वर्ष की पूर्ण आयु का योग करके तीर्थङ्कर महाबीर परिनिर्वाण को प्राप्त हुए । उनके वेदनीय आयु नाम और गोत्र कर्म नष्ट होगये। इस अवसर्पिणी का दुखमा मुखमा नाम का आरा व्यतीत होते-होते जब उसमें तीन वर्ष साढ़े आठ माह शेष रह गए, तब मध्यमा पावानगर में, जहाँ हस्तिपाल नामक राजा की रज्जुग सभा थी, उस राज्यसभाभवन के निकट पद्मवन उद्यान में परिनिर्वाण को प्राप्त हुए। उनका परिनिर्वाण महोत्सव प्रोषघोषोपवास करके गण-राजाओं द्वारा मनाया गया । ) 'वं न च मं समने भगवं महावीरे काल गए जब सब्द क्यप्पहीने, सं रमण चणं मममल्लई मय लिन्छई काली कोसलगा अट्ठारस --वि गणरायानो अमाबासाए पाराभोवं पोसहोपवासं पटुबरंतु ।' -कल्पसूत्र सू. १३२ ( जिस रात्रि में तोयंङ्कर भगवान् महावीर का परिनिर्वाण हुआ, यावत् वे सर्व दुःखों से रहित हुए, उस रात्रि में नौ मल्ल देश के नौ लिच्छिवि राष्ट्र के, काशी-कौशल जनपद के १८ गणराजाओं ने भी कार्तिक अमावस्या में प्रोषधोषोपवास करके पारणा की। इस प्रकार ३६ गणराजाओं ने बीर परिनिर्वाणमहोत्सव मनाया ।) पापानामा मरे ।-सुतपिटक, दीघनिकाय ३।१०।१
SR No.010276
Book TitleJain Shasan ka Dhvaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaykishan Prasad Khandelwal
PublisherVeer Nirvan Bharti Merath
Publication Year
Total Pages35
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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