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________________ प्रकाशन में सहयोगिनी बहिनों का परिचय श्रीमती भूरीबाईजी सुराना, रायपुर-श्रीमती भूरीबाईजी सुराना रायपुर स्वर्गीय श्री प्रगरचन्दजी सुराना की धर्मपत्नी हैं। श्राप रायपुर स्था० जैन महिला संघ की उपाध्यक्षा हैं। जीवन सादा और सरल है। आपके दो पुत्र और दो पुत्रियां हैं। दोनो पुत्र श्री चम्पालालजी व सोहनलालजी धर्मप्रेमी, समाजसेवी, कर्मठ कार्यकर्ता और सफल व्यापारी हैं। भापके फर्म का नाम 'अगरचन्द चम्पालाल' और 'अगरचन्द सोहनलाल' है। रायपुर मे कपड़े के सबसे बड़े व्यापारी हैं । प्रागर एजेन्सी मे मिलो के साथ कपड़े का थोक व्यापार का काम होता है। श्री प्र० भा० साधुमार्गी जैन सघ को पापका और आपके सुपुत्रो का तन-मन-धन से सक्रिय सहयोग प्राप्त है। __श्रीमती उमरावदाई जी मूथा, मद्रात-श्रीमती उमरावबाई जी मूथा स्वर्गीय श्री सज्जनराज जी मूथा मद्रास की धर्मपत्नी हैं। छोटी उम्र मे ही आपको वैधव्य का दुःख सहना पड़ा। प्रापका जीवन धार्मिक, सरल और सादा है । प्रापका दयालु स्वभाव और स्वधर्मी वात्सल्य प्रशसनीय है । आपके ससुर श्रीमान् बीजराजजी सा० मूथा का श्री प्र० भा० साधुमार्गी जैन संघ को तन-मन-धन से सक्रिय सहयोग प्राप्त होता रहता है। __संघ की ओर से हम आपका आभार मानते हैं और प्राशा है आगामी प्रकाशनो के लिए प्रापका सक्रिय सहयोग प्राप्त होगा। मंत्री, श्री अखिल भारतवर्षीय साधुमार्गो जनसंघ
SR No.010275
Book TitleJain Sanskruti ka Rajmarg
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaneshlal Acharya, Shantichand Mehta
PublisherGanesh Smruti Granthmala Bikaner
Publication Year1964
Total Pages123
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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