SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 74
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ परिचय और वर्गीकरण ७७ नेमि-ब्याह यह कवि विनोदीलाल द्वारा विरचित १८वीं शती के पूर्वार्द्ध की रचना है। उन्होंने नेमि-राजुल के कथानक को आधार रूप में ग्रहण कर कई खण्डकाव्यों की सर्जना की है। नेमिनाथ के चरित्र में उनके विवाह की घटना सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण एवं मार्मिक है । इसी घटना के आधार पर प्रस्तुत कृति का प्रणयन किया गया है । बारात की दावत के लिए वध किए जाने वाले पशुओं का आर्तनाद नेमीश्वर के जीवन के प्रवाह को यकायक मोड़ दे देता है । उनका वैवाहिक शृंगार विराग और तपश्चर्या में बदल जाता है । राजकुमारी राजुल भी अपने पति के पथ की पथिका बन जाती है । यह एक भावात्मक काव्य है, जिसकी भाव-रस योजना रमणीय है । भाषा कोमल, कलित और प्रसाद गुण सम्पन्न है । शैली में निरालापन है। पंचेन्द्रिय संवाद यह भैया भगवतीदास कृत सम्वादात्मक खण्डकाव्य है। इसका रचनाकाल विक्रम संवत् १७५१ है।' १. पंचायती जैन मन्दिर, कुम्हेर, जिला-भरतपुर (राजस्थान) से प्राप्त हस्त लिखित प्रति । २. नेम उदास भये जब से कर जोड़ के सिद्ध को नाम लियो है । अम्बरभूषण डार दिये सिर मौर उतार के डार दियो है । रूप धरो मुनि का जबही तबही चढ़ि के गिरिनारि गयो है। 'लाल विनोदी' के साहिब ने तहाँ पंच महाव्रत योग लयो है ॥ -मि-ब्याह, पृष्ठ ३ । ३. ब्रह्मविलास में (पृष्ठ २३८ से २५२ तक) संगृहीत । ४. पंचेन्द्रिय संवाद, पद्य १५०, पृष्ठ २५२ ।
SR No.010270
Book TitleJain Kaviyo ke Brajbhasha Prabandh Kavyo ka Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLalchand Jain
PublisherBharti Pustak Mandir
Publication Year1976
Total Pages390
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy