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________________ परिचय और वर्गीकरण १०६ हास-पुराण) हुआ है । जैन धर्म के पुराण ग्रन्थों में ऐतिहासिक सामग्री के सम्बन्ध में प्रो० हीरालाल लिखते हैं, 'जैन धर्म का सर्वमान्य इतिहास भगवान महावीर स्वामी के समय से व उससे कुछ पूर्व से आरम्भ होता है । इसके पूर्व के इतिहास के लिए एकमात्र सामग्री जैन धर्म के पुराण ग्रन्थ है ।२ जो हो, इन पुराणों का महत्त्व इसमें है कि एक ओर ये ऐतिहासिक एवं अधऐतिहासिक अनुश्र तियों के खजाने हैं तो दूसरी ओर जनप्रिय कथानकों के विशाल भण्डार । अतः यह माना जा सकता है कि ये जैन काव्य पुराण-इतिहास न हों, किन्तु इतिहास से सर्वथा असम्पृक्त नहीं हैं, ये इतिहास की पूर्व पीठिका अवश्य प्रस्तुत करते हैं । पौराणिक प्रबन्धकाव्यों के अन्तर्गत 'सीता चरित', 'श्रोणिक चरित,' 'नेमिनाथ मंगल', 'राजुल पच्चीसी', 'नेमिचन्द्रिका', 'नेमीश्वर रास', 'यशोधर चरित', 'पार्श्वपुराण', आदि को परिगणित किया जा सकता है । उपयुक्त प्रबन्धकाव्यों में विषयगत समानताएं भी हैं और विभिन्नताएं भी। तात्त्विक दृष्टि से ये सभी एक ही परम्परा के विविध सोपान हैं, एक ही शृंखला की विविध कड़ियाँ हैं। अनुशीलन के आधार पर उनकी निम्नांकित सामान्य विशेषताएँ प्रकाश में आती हैं : (१) प्रायः सभी प्रबन्धकाव्यों में जैनों के पुरातन महापुरुषों अथवा तिरसठ शलाका पुरुषों में से कहीं एक का और कहीं अनेक का जीवन चरित वर्णित है। (२) अधिकांश काव्यों के कथानक-स्रोत जैन पुराणों से ग्रहण किये गये हैं। (३) उनमें कहीं नायक के समग्र रूप का और कहीं अंश रूप का चित्रण किया गया है। १. एम० विन्टरनित्स-ए हिस्ट्री ऑफ इन्डियन लिटरेचर, प्रथम भाग, __पृष्ठ ५१८ । २. देखिए-जैन इतिहास की पूर्व पीठिका और हमारा अभ्युदय, पृष्ठ ५। ३० देखिए-पं० गुलाबचन्द्र : पुराणसार संग्रह, प्रस्तावना, पृष्ठ ५। ..
SR No.010270
Book TitleJain Kaviyo ke Brajbhasha Prabandh Kavyo ka Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLalchand Jain
PublisherBharti Pustak Mandir
Publication Year1976
Total Pages390
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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