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________________ ( ६ ) आत्म निर्णय के गंभीर विषयों पर ही रचना की है। इन रचनाओं में उन्होंने पूर्ण सफलता प्राप्त की है । कविवर द्यानतराय, दौलतराम, भागचन्द, बुधजन आदि कवि दूसरी श्रेणी के कवि हुए हैं। आपने अधिकतर पद, भजन और विनतियों की ही रचना की है। आपके पदों में आध्यात्मिकता, भक्ति और उपदेशों का गहरा रङ्ग है । भाषा और भाव दोनों दृष्टियों से आपके पद महत्वशाली हैं । इनके अतिरिक्त सहस्त्रों जैन कवियों ने पुराण, चरित्र, पूजा-पाठ पद, और भजनों की रचना की है जो साहित्यक दृष्टि से इतनी अधिक महत्वशाली नहीं है जितनी आदर्श और भक्ति के रूप में है. 1. उच्च श्रेणी के कवियों का क्षेत्र अध्यात्मिक रहा है । इसलिए. साधारण जनता. उनके काव्य के महत्व तक नहीं पहुँच सकी। यदि इन कवियों ने चरित्र या कथा ग्रंथों की रचना की होती. या भक्ति रस में बड़े होते तो आज इनका साहित्य सारे संसार में उच्च मान पाता; किन्तु उन्होंने जो कुछ भी लिखा है वह अत्यन्त गौरव की वस्तु है । उसे भारतीय साहित्य से अलग नहीं किया जा सकता है । आज हमारा बहु-विस्तृत हिन्दी जैन काव्य भंडार छिन्नभिन्न पड़ा हुआ है । यदि उसकी खोज की जाय तो उसमें से हमें ऐसे अनेक काव्य रत्नों की प्राप्ति हो सकती है जिससे हिन्दी साहित्य के इतिहास में नवीनता की वृद्धि हो सकती हैं । . " उसी विशाल हिन्दी जैन साहित्य के दो महान कवियों का थोड़ा परिचय इस पुस्तक द्वारा कराया जा रहा है ।
SR No.010269
Book TitleJain Kaviyo ka Itihas ya Prachin Hindi Jain Kavi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchandra Jain
PublisherJain Sahitya Sammelan Damoha
Publication Year
Total Pages207
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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