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________________ . ३६६ / जैन कथामाला (राम-कथा). सीता के विलाप से एक विद्याधरी के हृदय में करुणा जाग्रत हो ___ आई। इसने विद्यावल से जानकर बताया--. -हे देवि ! विलाप मत करो । मेरी वात व्यान से सुनो। सती सीता चुप होकर उसकी ओर देखने लगी। विद्याधरी ने . आश्वासन दिया चेतना लाने वाली) और संवानी (टूटी हुई हड्डियों को जोड़ने वाली) : ---ये चार औपधियाँ लाने को कहा। . .हनुमानजी तुरन्त चल दिये किन्तु उन औपधियों को न पहचान ... सकने के कारण महोदयगिरि को ही उठा लाये । .. ..... .. तदनन्तर वानर श्रेष्ठ सुषेण ने दवा उखाड़कर पीसी और लक्ष्मण को सुंघाई । उसे सूंघते ही लक्ष्मण नीरोग हो गये। (युद्धकाण्ड) .... नोट-वाल्मीकि रामायण के अनुसार ही इस घटना से पहले ही इन्द्रजित लक्ष्मण द्वारा मारा जा चुका था । . -सम्पादक ..... (२) तुलसीकृत रामचरितमानस के अनुसार- ... . . ..... युद्ध के तीसरे दिन कुम्भकर्ण श्रीराम के हाथों मारा गया। राम के वाण से कुम्भकर्ण का धड़ तो युद्ध-भूमि में ही गिर गया और सिर .. रावण के समक्ष जा गिरा। . . (लंकाकाण्ड, दोहा ७१). .. चौथे दिन मेघनाद तथा जंबवान का युद्ध हुआ और जंबवान ने उसे पैर पकड़कर लंका में फेंक दिया। (लंकाकाण्ड, दोहा-७४) । . इसके बाद मेघनाद अजेय होने के लिए यज्ञ करने लगा। तब ... · पांचवें दिन उसका यज्ञ ध्वंस और प्राणान्त करने के लिए लक्ष्मण अन्य वीरों के साथ पहुंचे और उसका यज्ञ भंग करके उसे यमलोक भेज दिया। ... ... . ........ . .: (लंनाकाण्ड, दोहा ७५-७६)..... ......... छठवें दिन रावण स्वयं युद्ध करने आया । यहाँ रावण का लक्ष्मण ..... से युद्ध हुआ। लक्ष्मण के. वाणों से विह्वल होकर वह एक बार तो ..... .. अचेत हो गया। पुनः सचेत होकर उसने ब्रह्माजी द्वारा प्रदत्त शक्ति ..
SR No.010267
Book TitleJain Kathamala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shreechand Surana
PublisherHajarimalmuni Smruti Granth Prakashan Samiti Byavar
Publication Year1977
Total Pages557
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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