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________________ ___३१८ | जैन कथामाला (राम-कथा) वीर हनुमान ने राम को प्रणाम करके अपनी इच्छा प्रगट की -स्वामी ! जब तक मैं लंका से वापिस लौट, आप यहीं मेरी प्रतीक्षा कीजिए। रामदूत हनुमान परिकर सहित एक शीघ्रगामी विमान में बैठकर लंका की ओर चल दिये। -त्रिषष्टि शलाका ७६ - विशेष-वाल्मीकि रामायण में सीता की खोज में सुग्रीव का जाना, रत्नजटी विद्याधर द्वारा पता बताना, लक्ष्मण द्वारा कोटिशिला उठाना आदि घटनाओं का उल्लेख नहीं है । किन्तु सुग्रीव का सुख-भोग में लीन हो जाना और लक्ष्मण की फटकार से कर्तव्य के प्रति जागरूक हो जाने का उल्लेख है । साथ ही राम हनुमान को मुद्रिका देते हैं । हनुमानजी अपने साथी वानर-भालुओं के साथ जाते हैं । वे विमान में बैठकर नहीं जाते । . [वाल्मीकि रामायण : किष्किधाकाण्ड]
SR No.010267
Book TitleJain Kathamala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shreechand Surana
PublisherHajarimalmuni Smruti Granth Prakashan Samiti Byavar
Publication Year1977
Total Pages557
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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