SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 99
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ कर्पूरप्रकर, अर्थ तथा कथा सहित. ७ रादिक पदवीने (दत्ते के०) आपे बे. याहिं आदिशब्दें करी वासुदेव, बल देव राज्यादिक पण लेवां एटले जिनपूजा करनारने ए सर्व पदवी प्राप्त था य . केनी पेठे. तो के (मृद्दलस्य के०) मृत्तिकाना दलना (चक्रादयः के०) चक्र, लाकडी, दोरडी, कुंजारप्रमुख जेडे, ते (कलशतामिव के०) कुंनादिक ने जेम आपे . तेम जिनपूजा पण तीर्थकरादिकपणाने थापे ॥७३॥ __ या ठेकाणे श्रेणिक राजानो दृष्टांत होवाथी पूर्व श्रेणिक राजानी कथा कही ने तो पण फरीने किंचित्मात्र कथा कहे . श्रेणिक नामा राजा प रम जैनी दायिक सम्यक्त्वने धारण करनारो हतोत्रण काल श्रीजिनन गवाननु पूजन करतो हतो. ते राजा प्रति दिवस एकशो आठ सोनाना य वोयें करी श्रीजिननगवाननी पासें स्वस्तिक पूरतो हतो. ए प्रकारनी श्री जिननक्तियें करी तीर्थकर नामकर्म उपार्जन ते राजायें कयुं. ॥ ७३ ॥ • स्याजिनार्चनकृतस्त्रिकशुध्या, शंविपद्यपियथा दवदंत्याः ॥ स्वस्तरुःफलति किं नहिरोरे, नेउरस्यतितृषंचचकोरे ॥४॥ अर्थः-(त्रिकशुध्या के ) मन, वचन अने कायानी शुधियें करी (जि नार्चनकृतः के ) जिन, अर्चन करनारने ( विपद्यपि के० ) विपत्तिने वि पे पण (शं के०) सुख ( स्यात् के ) होय. केनी पेठे ? तो के ( दवदं त्याःयथा के०) दवदंतीनी पेठे जेम (रोरे के०)दारिश्चेकरी परानव पामेला एवा पुरुषने विपे ( स्वस्तरुः के० ) कल्पवृक्ष (किं के०) सुं ( नहिफलति के ) नथी फलतो ना फलेज डे. ( च के ) वली (इंः के०) चश्मा, (चकोरे के०) चकोर पदीने विषे (तृषं के०) तृष्णाने (न अस्यति के०) नथी फेंकतो? अर्थात् फेंकेज ने ॥ ॥ __ आहीं दृष्टांतमां दवदंतीनी कथा कहे . अष्टापद पर्वतनी पासें धन्य नामा गाम बे. तेनो मम्मण नामें राजा हतो, तेनी वीरमती नामें स्त्री हती. एक दिवस ते राजा आयडो करवा नीकट्यो तेने जैनसाधु सामो मलवाथी अपशुकन थयुं एम मानीने ते साधुने पकडीने बार प्रहर राख्यो पड़ी वीरमतीयें राजाने समजावीने ते साधुने बोडाव्यो. साधुयें धर्मोपदे श दीधो वीरमती श्राविका थइ पांचशे आंबिल कस्यां वली अष्टापद ऊपर जश्ने चोवीश जिननगवानने मणिमय तिलक कराव्यां. ते पनी ते वीरमती
SR No.010250
Book TitleJain Katha Ratna Kosh Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1891
Total Pages401
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size44 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy