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________________ GO जैनकथा रत्नकोष नाग पांचमो. वोध माड्यो. माटे साध्वीथी पण मोहोटा पुरुषोने ज्ञान प्राप्त थाय बे. या श्लोकमां कुबेरदत्तानो तथा याकिनी साध्वीनो दृष्टांत होवाथी प्रथम कुबेरदत्तानी कथा कहे बे. मथुरा नगरीने विषे वसंततिलका नामा एक वारांगना रहे बे. एकदिवस ते वारांगनाने वे बालक उत्पन्न थयां के तुरत पोतानी नामांकित मुश्कििा सहवर्त्तमान पेटीमां नाखी पेटीने यमुना मां तरती मूकी, तेमां बोकरो तथा बोकरी हती पढी तरती तरती ते पेटी शौर्यपुरमा गइ. ते शौर्य पुरना वे वेपारी हता तेने ते पेटी मली तेमांथी ए क पुत्र ने एक पुत्री प्रतिस्वरूपवान् मव्यां, तेवारें बेहुजलने संतान न होवाथी एकें कन्या लीधी अने एकजणे पुत्र लीधो ते बेदु वेपारीयें ते वेदु जाश्वेननो विवाह को पढ़ी एक दिवस कुवेरदत्तायें पोतानी तथा पोता नाजाइनी मुड़िका जोइने समानता देखीने विचायुं जे श्रमो वे नाइ वेन बै ये एम जाणवाथी कुबेरदत्तनें कह्या विना एकदम दीक्षाग्रण करी. एकदा कुबेरदत्त वेपारने माटें मथुरामां ज्यां पोतानी माता गणिका रहेने त्यां या व्यो. तेणे पोतानी माताने गणिका जाली जोगववा मांमी. तेथकी तेने एक पुत्र उत्पन्न थयो. तदनंतर कुबेरदत्ता साध्वीने यवधिज्ञान उत्पन्न थवाथी ते त्यां प्रवीने ते सुतेला बालकने प्रढार नात्रां थयां ते प्रकट करवामाटें रमाडवा लागी ने हिंचको नाखतां केहेवा लागी के हे पुत्र ! सांजव्य || श्लोक ॥ जातासि तनुजन्मासि, वरस्यावरजोपि च ॥ भ्रातृव्योसिपितृव्योसि पुत्रपुत्रो सिचार्जक ॥ १ ॥ यश्च ते बालक पिता, समे जवति सोदरः ॥ पिता पितामहो चर्चा, तनयः श्वसुरोपि च ॥ २॥ याच बालक ते माता, सा मे मातापितामही ॥ चातृजायावधूः श्वश्रूः सपत्नीचनवत्यहो ॥ ३ ॥ श्रा श्लोकनो जावार्थ:तुं महारो नाइ, पुत्र, देर, नत्रीजो, काको, दीकरानो दीकरो, थाय बे ने हे अनेक ! ताहरो जे बाप ते माहरो नाइ थाय बे पिता थाय बे, पिता मह थाय बे, स्वामी थाय बे, पुत्र थाय बे, घने श्वसुर पण थाय बे, वली हे वाक !! जे तारी माता ते माहरी माता तथा पितामही थाय बे. अने जानी वहु या बे. वहु याय बे. सासु थाय बे ने शोक्य थाय ने ग्राम प्रहार संबंध कह्या. ते सांजली कुबेरदत्त नीचें खावीने पूढवा लाग्यो के हे साध्वी! या गुं कहो हो धने तसे कोण हो ? त्यारें साध्वीयें सर्व बनेलो
SR No.010250
Book TitleJain Katha Ratna Kosh Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1891
Total Pages401
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size44 MB
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