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________________ कर्पूरप्रकर, अर्थ तथा कथा साहित्त. ए थाय जे. एम जाणवू. कोनी पेठे ? तो के (बादुवव्यादिवत् के०) वादब व्यादिकनी पेठे. बाहुबली पोताना इव्यथी जेम श्रीषन पाउकारूप ती र्थ,तहशिलाने विष स्थापन कस्युं. ते अद्यापि पर्यंत 'हज' एवे नामें उलखाय डे. याहिं (श्व के०) श्व शब्द जे जे ते अलंकारार्थ . (केतूनसनरतपुण्य यशोर्थवादं के ) केतुना मि– करी ननसित एवं नरत राजानुं पुण्य तथा यश तेनी प्रशंसाने कहेवा वालुं एवं (अष्टापदं के०) अष्टापद तीर्थ, तेने ( कः के) कयो पुरुष, ( अद्ययावत् के०) अद्यापि पर्यंत ( नअनमत् के० ) न नमतो हवो ? अर्थात् सर्व ते तीर्थने नमेज डे ॥ ६ ॥ __ शांहि प्रथम बाहुबलीनो दृष्टांत होवाथी तेनी कथा कहे . तक्षशिला पुरीने विषे बाहुबली राजा राज्य करे डे. एक दिवस श्रीषनदेवजी बद्मस्था वस्थायें विचरता थका तदशीला नंगरीना उद्यानमां पधास्या. ते पाराममा रहेनारे यावी बाहुबलीने तेनी वधामणी आपी. बादुबली राजायें संतुष्ट थइने बधामणीयाने पोताना अंगनो शृंगार सर्व प्राप्यो. पनी राजायें वि चायुं जे हमणां सांज पडवा यावी माटें प्रातःकालमां महोटा बाबरें स्वामीने वांदवा जाइश. पनी ज्यारें रात्रि गइ, अने सूर्योदय थयो त्यारे जेवामां बाहुबली राजा चतुरंगिणी सेना सहित श्रीषन देवजीने वांदवा आव्यो, तेवामां श्रीषनदेवजी तो,अन्यस्थलमा विहार करी गया. बाहुबली यें स्वामीने न देखवाथी माहाक्लेश करवा मांझयो. पनी जिहां स्वामी रात्रि रह्या हता ते दिशानी सन्मुख थश्ने परिवार सहित राजायें नमस्कार कस्यो. अने ज्यां स्वामी पधास्या हता, त्यां रत्नमय बे पाउकायें युक्त धर्मचक्रनु नि र्माण कयुं. त्यां हाल म्लेन लोकोनुं हज एवा नामर्नु तीर्थ थयुं . हवे बीजी अष्टापद तीर्थनी उत्पत्तिनी कथा कहे . अयोध्या नगरीने विषे श्री रुपनदेव स्वामी वीश लाख पूर्व कुमरपणामां तथा वेशठ लाख पू र्व राज्य नोगवीने सर्व मली व्याशी लाख पूर्व गृहस्थाश्रममा रही बरतने राज्य आपी पोतें दीक्षा लीधी. हजार वर्ष दीदा पालीने केवलझान पामीने श्रीअष्टापद गिरिने विषे मोदने प्राप्त थया. पली स्वामीना निर्वाणना स्था नकनी उपर नरत राजायें बेगान पहोलो अने चार गाउ लांबो अनेत्रण गान उंचो चार दरवाजायें सहित सिंहनिषद्या एवा नामवालो नंदीश्वरही पादि शाश्वत प्रासादने अनुसरतो सर्व तीर्थकरना पोतपोताना शरीरनां
SR No.010250
Book TitleJain Katha Ratna Kosh Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1891
Total Pages401
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size44 MB
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