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________________ कर्परप्रकर, अर्थ तथा कथासहित. ४५ जलावी प्रतिबोध पमाडे , तेवामा प्रनवनामा चोर ते जंबूकुमारना घर मां पांचशे चोरोनी साथें चोरी करवा याव्यो. तेणें बानो उनो रहीने जं ब्रूकुमार स्त्रीने करेलो बोध सांजली वेराग्य पामी दीक्षा लीधी. ते व्रत पालीने देवता थयो. अने जंबूकुमार तथा तेनी आते स्त्रीयो मोक्ष पामी॥३७॥ न ब्रह्मतःसकलशर्मकृतश्चलन्ति धीराःसुदर्शन श्व व्यसने धनेऽपि॥ शेषोऽब्धिटलहरीचलशैलव ल्गनुग्नमौलिरपि विश्वनरं बिनर्ति ॥ ३ ॥ अर्थः-(सकलशर्मकृतः के० ) समस्त सुकतने करवावाला एवा (धी राः के०) धैर्यवान पुरुषो ( व्यसने केए) संकट थाव्या बतां अथवा (धनेपि के०) धन प्राप्त थया बता पण (सुदर्शन व के.) सुदर्शन शेग्नी पेठे (ब्रह्मतः के०) धर्मथी (न चलंति के०) चलायमान थता नथी. त्यां दृष्टांत कहे . (शेषः के०) नागें ते, (अब्धिमलहरीचलशैलवल्गनुन मौलिरपि के०) सागरना मोटा मोजाथी चंचल थयेला एवाजे पर्वत तेथी ध्रुजती थने विदारण पामती एवी जे पृथ्वी तेणें करी वक थयुं जे मस्तक जेनुं एवो बतो पण (विश्वनर के०) जगतनो नार तेने (बिनर्ति के०) धारण करे . पण मूकतो नथी. तेम मोटा लोको धर्मने क्यारे पण मूकता नथी॥ शहां सुदर्शन श्रेष्टिनी कथा कहे जे. चंपानगरीमा दधिवाहन राजा तेने अनया नामें राणी ले. ते नगरीमांसुदर्शन नामें शेठ वसे .तेनी देवांगना सरखी मनोरमा नामें स्त्री . तेना पांच पुत्रो ले. एकदा सुदर्शन शेग्नुं रूपंजोइने यनया राणी अनुरागणी थइ त्यारें शेठने तेडवा माटे पोतानी सखीने मोकली. शेठने बुद्धि नपनी तेथी कह्यु के हुँ नपुंसक बुं, माटे ए काम करवाने शक्तिमान नथी. दासीये पण ते प्रमाणेंज राणीने कयुं. वली एकदा शेतना पुत्रोने मार्गे जता जोड्ने राणीयें विचाघु के नपुंसकने संतति होय नही, माटे शेजें मने बेतरी जे. तो हवे एनुं फरीथी उपाय करीश.एक दिवसे कोई कार्यनिमित्तें शेठने नपाडी लावीने राणीयें प्रार्थना करी ते शेवें न मानी त्यारें तेणे स्त्री चरित्र करी बुमो पाडी जे शेवें महारी लगा लीधी एवो होकार करवाथी राजायें शेतने शूलीयें चडाव्यो. त्यां शीलना प्रना वथी शूली ते सिंहासन रूप थर पड़ी राजाना सेवकोयें खड्गना प्रहार कस्या
SR No.010250
Book TitleJain Katha Ratna Kosh Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1891
Total Pages401
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size44 MB
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