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________________ जए श्रीनुवननानु केवलीनो रास. था विस्तारी ए कही, उपकार लही अनिराम ॥ ॥ सखूजी संसारथी, पहोता पेले पार ॥ तो पण परने कारणे, उद्यम करो अपार ॥३॥ ॥ ढाल बनुमी ॥ ॥थ मलती चाकरी रे ॥ ए देशी ॥ कहो नगवन करुणा करी, केता नीसरे एके काल ॥ प्रनु प्रकासीएं रे॥ अविवहार निगोदथी, प्राणी पूडे श्म नूपाल ॥प्र० ॥ १ ॥ विवहार रासें थकी रे, जेता मुगतें जाए जीव ॥प्रण॥ कहे इम केवली रे॥सूक्ष्मनिगोदथी नीसरी रे, आवे तेटला सदीव ॥क ॥२॥ यतः॥ सिङत्ति जित्तियां खलु, हय ववहार रासिजीवा ॥ इति अणावणस्सइ, मजा न तत्तिया चेव ॥१॥ करवा नाल तणी परें रे, जाईने आवे म तेह ॥ क० ॥ मुगति न नराए कदा रे, नावे निगोद त जो पण नेह ॥क०॥३॥ यतः॥ जश्यावि होइ पुजा, जियाण म ग्गंमि उत्तरं तश्या ॥ ईकस्स निगोयस्त, अणंत नागोत्र सिदिग॥१॥ ॥ प्रवेढाल ॥ तव राजा कहे कहो प्रनु रे, निगोदथी निसरिया जीव जेह ॥कण॥ एटलेज चाले ते सवे रे, पामे मुगति सदा सुख गेह ॥क० ॥४॥ बदु जीव तो माहरी परें रे, सीफे ते जाणो तहकीक ॥क० ॥ थोडे का लें पण केटला रे, केताएक तेहथी नजीक ॥क ॥ ५॥ मरुदेवा मातानी परें रे, केता एक सीफे ततखेव ॥ क० ॥ अनव्य ते सीफे नहि कदा रे, न चाले मोन सामां जिम नेव ॥क०॥ ६॥ चंझमौलिनृप चाहिने रे, बो से त्यारे बे कर जोडी ॥ प्रनु मया करी रे॥ तारो नवसागर थकी रे, मुझने मोह तणो मद मोडि ॥ प्र० ॥ ७ ॥ संयम लेवो में सही रे, तुम पासें तजीने राज ॥ नणे इम नूपति रे ॥ मुनी कहे विलंब न कीजियें रे, साधतां पर नवनां काज ॥ न ॥ ॥ प्रेमें निज पाटें ठवी रे, नंदन चं श्वदन इणि नाम ॥ नमो ते साधुने रे ॥ सुविधगुं सयंम वरे रे, साथें लई केतिक वाम ॥ न ॥ ए॥ पुरजन ले संग केटला रे, केटलाएक ले मंत्री सामंत ॥ न० ॥ पंच महाव्रत उच्चरे रे, चंमौलि राजा गुणवंत ॥ न० ॥ १०॥ थोडे दिन सीखी घणी रे, विद्या चौद पूरव विस्तार ॥ न० ॥ यो ग्य लही वली केवली रे, यापे तव तेहने गन्न नार ॥न ॥ ११॥ चा लीस लाख पूर्व लगें रे, पाल्युं संयम कांईक न्यून ॥ न ॥ कोडि पूर्वनो याउखो रे, संघखं जाणो ते देसोन ॥ न० ॥ १२॥ उदयरतन कहे एट
SR No.010250
Book TitleJain Katha Ratna Kosh Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1891
Total Pages401
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size44 MB
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