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________________ श्री सम्यक्त्वसित्तरी. ՋԱԽ एकदा सिसेनसूर अहंकारमां मग्न थया थका श्रीसंघने कहेवा ला या के तमे कहो तो सर्व सिद्धांतनो प्राकृत भाषा टालीने संस्कृत करूं जे म लोक आपने इसे नहीं ते सांजली श्रीसंघें कयुं के तमोने प्रायश्चित्त उपनुं जेमाटें सर्वाकर सन्निपात लब्धिना धणी एवा श्रीगणधर देव तेमांहे संस्कृत भाषा करवानी शक्ति हती तथापि लोकोपकारने यर्थे सिद्धांतोप्रा कृत जाषामा कस्यांबे, तेथी श्रीतीर्थकरनी तथा गणधरनी प्राशातना तमें करी, माटे तमोने पाचिक नामें प्रायश्चित्त उपनुं तेथी केम बूटशो ? तेवारे पश्चात्ताप करता श्रीसंघने विनति करता हवा के दशमुं प्रायश्चि विविन्न ययुं ने तो पण श्रीसंघनी याज्ञा होय तो तुल्यना रूप दशमुं प्रा यश्चित्त हुं यादरुं. संघें कयुं जेम तमारो जाव होय तेम करो. पी सिद्धसेन सूरियें मौन याद रजोहरण मुहपत्ति गोपवी श्रवधूतनो वेश धारण करी जेम कोइ लखे नहीं एवी रीतें बार वर्षपर्यंत जमवानो निर्धार कस्यो. जेमाटे कोइ उलखे तो वली बीजी वार बार वर्षपर्यंत एमज करवुं पडे, माटे अज्ञात थका नमवा जाग्या एम आठ वर्ष वीत्या केडे नकयणीयें यावी महाकालने प्रासादें लिंग ऊपरें पग राखी पबेडी उढीने सूता. पूजा रे उठाडवा माटे घणुं जोर करूं पण नव्या नहीं तेवारें राजाने खबर कर राजा विक्रमादित्यें पोतें घ्यावी उठाड्या तोपण उठ्या नहीं तेवारें राजायें ताजानो मार देवा मांग्यो, ते ताजणा सर्व राजाना अंतःपुरने लाग्यां तिहांथी बूम यावी राजायें विचायुं ए सामान्य पुरुष नथी सिद्धपुरुष बे, माटे पगे लागीने नवाड्या पढ़ी राजायें कह्युं या देव बे एनी स्तवना करीये पण एने रूसवीयें नहीं. सिद्धसेने कह्युं ए देव महारी स्तुति खमी शके नहीं जो हुं स्तुति करूं, तो ए लिंग फाटी पडे. राजा क स्तुति करतां जे या ते नलें था. कपूर खातां दांत प डी जाय, तो पण कपूर खावुं. सिद्धसेनजीयें कयुं हमणां तो एम कहो पण पीतमने दुःख उपजशे, डुःहवाशो. राजायें कह्युं मुऊने दुःख न हीं उपजे तमे एनी स्तुति करो, एवं कहे थके सिद्धसेन दिवाकरें श्रीमहा वीरनी स्तुतिरूप बत्रीशी करी तेनो पहेलोज श्लोक कहेतां लिंगमांथी धू निकयां पी श्रीपार्श्वनाथनो महिमा जाली कल्याणमंदिरस्तोत्र कयुं, तिहां " यस्मिन् दरप्रनृतयोपि हतप्रनावा " ए बगीयारमुं काव्य कहेतां
SR No.010248
Book TitleJain Katha Ratna Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1890
Total Pages397
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size45 MB
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