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________________ २४ जैनकथा रत्नकोष नाग पहेलो. चाणाक्यने मूर्व केम कहो बी ? तेवारें मोशी बोली के चाणाक्ये प्रथमथीज पामलीपुर जरुंध्यं परंतु जो देश पोतांने वश करी पली नगरने घेरो पाल्यो हत, तो शुं बगडी जात? ए बुद्धि सांजली चाणाक्य विस्मयापन्न था हिमवंत पर्वतें गयो.तिहाँ एक गाममांजा पर्वतराजानी साथै प्रीति कीधी. एकदिवस अवसर जो चाणाक्य ते राजानी साथै मसलत करी के आपणे नंदराजानो देश वश करी पामलीपुरमाथी नंदरांजाने उगाडी अर्को अर्थ राज्य वहेंची लेलं, तेणे पण ते वात मान्य करी,पड बेदु एकता भली कटक मेलवी अनु कमें सर्वदेश वश करी नेहेलो पामलीपुरने विले घेरो नाख्यो,नंद राजायें युद्ध कझुं. तेमां नंदराजा हारी गयो,तेवारें धर्मशार माग्युं, तेने चाणाक्ये कह्यु के हे नंदराजा! जेटलु एक रथमां इव्य उपडे, तेटलुं लइ जाउ, तेथी अधिक लेशो मां. नंदराजा पण मणिरत्न सुवर्णादिक रथमांनी, एक स्व रूपवलना दीकरीने रथमां बेसाडी तिहांथी निकल्यो. एवामां चंगुप्त रथमां बेसी गाममां फरवा निकल्यो , तेनी उपर कुमरीनी दृष्टि पडी, तेथी अनुराग उपन्यो, तेवारें नंदराजा पुत्रीनो मनोगत नाव जाणीने बो व्यो के हे पुत्रि ! हुं सुखें ए चंगुप्त नरिने वर. तहारूं कल्याण था. एम कहेतांज ते पुत्री रथ उपरथी उतरीने चंगुप्तना रथ पर चढवा लागी. तेटलामां चंगुप्तना टूथना नव धारा नांगी पड्या तेवारें चंगुप्तें कह्यु के ए कन्या अगुनकारिणी छे माटें जवा द्यो..आपणा कामनी नथी. तेने चा पाक्यें कह्यु के ए गुकन नलु डे,एजें वर्जन म कर. नवारा नांग्या मात्रै तहारी नव पेढी पर्यंत राज चालशे, एम कही कन्या राखी. पडी पर्वतक अने चंगुप्त ए बेदु नंदना घरमां गया, तिहां लक्ष्मीनी वहेंचरण करवा लाग्या, ते घरमां एक कन्या दीठी, तेनी नपरें पर्वतक राजा सानुरागी थयो. तेवारे ते कन्या चाणाक्ये पर्वतकराजाने परणावी. परंतु ते विषकन्या हो वाथी तेना करस्पर्शनथी पर्वतक राजा विपत्ति पाम्यो.ते विषकन्याने योगे चंगुप्तने औषध विना व्याधि गयो ॥ यतः ॥ अर्थराज्यहरं मित्रं, योन हन्यात्स हन्यते ॥ तस्माहिनौषधेनैव, व्याधिबेत्तु गम्यते ॥ १ ॥ चंद गुप्त सर्वराज्यनो धणी थयो, राज्य पालवा लाग्यो. एवामां पामलीपुरनि वासी सर्व लोक मली विनति करवा लाग्या.के यहो स्वामी ! नंदराजा थ मारी पासेंथी स्वल्प कर लेतो हतो, प्रजाने आत्मजनी पेरें पालतो अने
SR No.010246
Book TitleJain Katha Ratna Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1867
Total Pages321
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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